पिल्वायदे भंगिया घोट ओ गनपत की मम्मी- pilwaayede bhangiyan ghot o ganpat ki mummy

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घोटे घोट घुमाए दे प्यारी रगडा खूब लगाये दे
पिल्वायदे भंगिया घोट ओ गनपत की मम्मी
दुरक लगी भंगिया की तगडी तने नही इब तक रगड़ी
बुज्वाये दे मन की प्यास ओ गनपत की मम्मी
पिल्वायदे भंगिया घोट
भूतो की फ़ौज से आने वाली फेर नही सब जाने वाली
कर जल्दी हो मत लेट ओ गनपत की मम्मी
पिल्वायदे भंगिया घोट
केलाश पे न मुझको जाना भंगियाँ कना हो न पीना खाना
मैं करता रहूँगा वेट ओ गनपत की मम्मी
पिल्वायदे भंगिया घोट

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