ये नियम अपना लिए तो आपको कभी गंभीर रोग नहीं होगा

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यदि निम्नलिखित 10 नियम आपने अपना लिए तो निश्चित ही आपको कभी भी कोई गंभीर रोग नहीं होगा और आप जीवनभर निरोगी बने रहेंगे, परंतु उससे पूर्व आपको 3 शर्तों का पालन करना होगा। जैसे कुछ पाने के लिए खोना पड़ता है उसी तरह यह 3 शर्तें अपनाएं।

तीन शर्तें

1. त्याज्य पेय पदार्थ : चाय, कॉफी, कोल्ड्रिंक और इसी तरह के पेय पदार्थ जीवनभर के लिए त्याग दें।

2. त्याज्य भोज्य पदार्थ : इसी प्रकार से मांस, शक्कर, तेल, नमक, मैदा, अरारोट, गेहूं और बेसन, बैंगन, कटहल तथा इससे बनी चीजें त्याग दें। प्राकृतिक शक्कर का उपयोग करें, सैंधा नमक लें। तेल में प्राकृतिक रूप से निर्मित तेल का उपयोग करें। गेहूं की जगह ज्वार, बाजरा, जो और मक्का का उपयोग करें मौसमानुसार।
3. त्याज्य जीवनशैली : अपनी पुरानी लाइफ स्टाइल को बदलें। जैसे देर रात को सोना और सुबह देर तक सोते रहना। भोजन करते वक्त टीवी देखना, शराब पीना, सिगरेट पीना आदि।

दस नियम

1. इंटरमिटेंट फास्टिंग : उपवास करें 16 घंटे का। रात के भोजन के बाद 16 घंटे तक ना कुछ खाना है और पानी को छोड़कर ना ही कुछ पीना। उदाहरण के लिए, सुबह 10:00 से शाम 6:00 बजे तक। इस समय के दौरान, आप जो भी चाहें खा सकते हैं उसके बाद व्रत प्रारंभ कर दें जो अगले दिन 10 सुबह 10 बजे ही तोड़े। आप 11:00 से शाम 7:00 बजे तक या 12:00 से रात 8:00 बजे का समय अपना सकते हैं।
2. पेय पदार्थ : सप्ताह में एक बार एक गिलास मीठा सोडा नींबू रस के साथ पीएं। इसके अलावा मौसम देखकर शहतूत, बेल, नीम और अन्य फलों का रस पीएं।

3. सूर्य नमस्कार : प्रतिदिन योगासन नहीं कर सकते हैं तो सूर्य नमस्कार को ही अपनी जीवनशैली का अंग बनाएं। यह भी नहीं कर सकते हैं तो कम से कम आधा घंटा प्रात:काल धूप में घुमने का नियम बनाएं।

4. भोजन : अपने भोजन में दही, सलाद, अनार, हरि पत्तदार सब्जियां, लहसुन, बीन्स, फ्रूट और ड्राय फूड का उपयोग करें। खाना खाने के कम से कम एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। भोजन के दौरान भी पानी नहीं पीना चाहिए।
5. धूप सेकना : प्रतिदिन प्रात:काल सूर्य के समक्ष कुछ देर खड़े रहने से सभी तरह के पौषक तत्व और विटामिन की पूर्ति होने की संभावन बढ़ जाती है।

6. तुलसी का सेवन : नित्य 4 पत्ते तुलसी का सेवन करना चाहिए। इसी तरह के और भी कई पत्ते होते हैं जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं जैसे कड़ी पत्ता या नीम का पत्ता।
7. बर्तन : पीतल के बर्तन में भोजन करना और तांबे के लौटे में पानी पीने के कई स्वास्थ लाभ मिलते हैं। इसी तरह यह भी देखा जाना चाहिए कि किस बर्तन में खाना पकाया जा रहा है और किससे पकाया जा रहा है।

8. शुद्ध वायु : जिस तरह शरीर को शुद्ध भोजन और जल की आवश्यकता होती है उसी तरह शरीर को शुद्ध वायु की भी आवश्यकता होती है परंतु वर्तमान दौर में वायु प्रदूषण के चलते यह मुमकिन नहीं है। ऐसे में आप मास्क लगाएं और जितना हो सकके प्रदूषण से बचें। साथ ही प्रात: काल आप प्राणायाम करें। प्राणायाम से हमारे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। यदि आपके फेफड़ें सक्रिय और मजबूत हैं तो आप लंबे समय तक जीने की क्षमता भी प्राप्त कर लेंगे।
9. तनाव : उपरोक्त सभी कार्य कर लिए परंतु यदि जीवन में डिप्रेशन, टेंशन और इसी तरह के मानसिक विकार हैं तो सब व्यर्थ है क्योंकि आपका तनाव ही आपको शारीरिक रूप से रोगी बना देगा। अत: इसे दूर करने के लिए आप कम से कम 10 मिनट का ध्यान करें। यह उस वक्त कर सकते हैं जब आप सूर्य नमस्कार करते हैं। समस्या पर चिंता ना करें, समाधान पर चिंतन करें।
10. वास्तु : जीवन में ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव पड़ता हो या ना पड़ता हो परंतु आप जहां रह रहे हैं वहां के वातावरण का प्रभाव जरूर पड़ता है। कई ऐसे मकान होते हैं जो गर्मी में ठंडक देते हैं और ठंड में गर्मी। आपको एसी में रहने की आदत है तो यह आपको कमजोर कर देगी। दूसरा यह कि घर के भीतर या घर के बाहर आसपास किस तरह के पेड़-पौधे हैं और घर की दशा एवं दिशा कैसी है यह जरूर जांच लें।

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