लाल बेबी हाथी – राजीव कृष्ण सक्सेना
मुन्ने के सपने में आया
लाल बेबी हाथी
बहुत बहुत उसके मन भाया
लाल बेबी हाथी
तीजे तल्ले पर रहता था
कैसे चढ़ कर आया
पूछा कई बार मुन्ने ने
उसने नहीं बताया
खेला कूदा नाचा गाया
लाल बेबी हाथी
ठुमक ठुमक कर दिल बहलाया
लाल बेबी हाथी
पीठ चढ़ा फिर मुन्ना उसकी
वह था उसका साथी
उड़ने लगा तभी फर फर कर
आसमान में हाथी
उड़ता था वो नील गगन में
लाल बेबी हाथी
चांद सितारों के आंगन में
लाल बेबी हाथी
मुन्ने को तो मजा आ गया
आसमान में उड़ कर
कुछ क़ुछ उसको डर लगता था
गिर ना पड़े फिसल कर
सुबह हुई मम्मी ने आकर
मुन्ने को सहलाया
उठ जा बेटा सुबह हो गई
गोदी में बिठलाया
कहां गया मुन्ने ने पूछा
लाल बेबी हाथी
कब फिर से मिलने आएगा
लाल बेबी हाथी