श्री ब्रह्माष्टोत्तरशतनामावलिः | Sri Brahmashtottarashtanamavali

0

ब्रह्मा सनातन धर्म के अनुसार सृजन के देव हैं। हिन्दू दर्शनशास्त्रों में ३ प्रमुख देव बताये गये है जिसमें ब्रह्मा सृष्टि के सर्जक, विष्णु पालक और महेश विलय करने वाले देवता हैं। व्यासलिखित पुराणों में ब्रह्मा का वर्णन किया गया है कि उनके चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता भी कहा जाता है। हिन्दू विश्वास के अनुसार हर वेद ब्रह्मा के एक मुँह से निकला था। भगवती सरस्वती ब्रह्मा जी की पत्नी हैं। ब्रह्मा के छः पुत्र थे- सनकादिक ऋषि,नारद व दक्ष। बहुत से पुराणों में ब्रह्मा की रचनात्मक गतिविधि उनसे बड़े किसी देव की मौजूदगी और शक्ति पर निर्भर करती है। किसी भी रचनात्मक गतिविधि पूर्ण करने के लिए पूर्ण सफलता के लिए ब्रह्माष्टोत्तरशतनामावलिः का पाठ करें।

श्रीब्रह्माष्टोत्तरशतनामावलिः

ॐ ब्रह्मणे नमः । ॐ गायत्रीपतये नमः । ॐ सावित्रीपतये नमः । ॐ सरस्वतिपतये नमः ।

ॐ प्रजापतये नमः । ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ कमण्डलुधराय नमः । ॐ रक्तवर्णाय नमः ।

ॐ ऊर्ध्वलोकपालाय नमः । ॐ वरदाय नमः । ॐ वनमालिने नमः । ॐ सुरश्रेष्ठाय नमः ।

ॐ पितमहाय नमः । ॐ वेदगर्भाय नमः । ॐ चतुर्मुखाय नमः । ॐ सृष्टिकर्त्रे नमः ।

ॐ बृहस्पतये नमः । ॐ बालरूपिणे नमः । ॐ सुरप्रियाय नमः । ॐ चक्रदेवाय नमः ।

ॐ भुवनाधिपाय नमः । ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः । ॐ पीताक्षाय नमः ।

ॐ विजयाय नमः । ॐ पुरुषोत्तमाय नमः । ॐ पद्महस्ताय नमः ।

ॐ तमोनुदे नमः । ॐ जनानन्दाय नमः । ॐ जनप्रियाय नमः । ॐ ब्रह्मणे नमः ।

ॐ मुनये नमः । ॐ श्रीनिवासाय नमः । ॐ शुभङ्कराय नमः । ॐ देवकर्त्रे नमः ।

ॐ स्रष्ट्रे नमः । ॐ विष्णवे नमः । ॐ भार्गवाय नमः । ॐ गोनर्दाय नमः । ॐ पितामहाय नमः ।

ॐ महादेवाय नमः । ॐ राघवाय नमः । ॐ विरिञ्चये नमः । ॐ वाराहाय नमः ।

ॐ शङ्कराय नमः । ॐ सृकाहस्ताय नमः । ॐ पद्मनेत्राय नमः । ॐ कुशहस्ताय नमः ।

ॐ गोविन्दाय नमः । ॐ सुरेन्द्राय नमः । ॐ पद्मतनवे नमः । ॐ मध्वक्षाय नमः ।

ॐ कनकप्रभाय नमः । ॐ अन्नदात्रे नमः । ॐ शम्भवे नमः । ॐ पौलस्त्याय नमः ।

ॐ हंसवाहनाय नमः । ॐ वसिष्ठाय नमः । ॐ नारदाय नमः । ॐ श्रुतिदात्रे नमः ।

ॐ यजुषां पतये नमः । ॐ मधुप्रियाय नमः । ॐ नारायणाय नमः । ॐ द्विजप्रियाय नमः ।

ॐ ब्रह्मगर्भाय नमः । ॐ सुतप्रियाय नमः । ॐ महारूपाय नमः । ॐ सुरूपाय नमः ।

ॐ विश्वकर्मणे नमः । ॐ जनाध्यक्षाय नमः । ॐ देवाध्यक्षाय नमः । ॐ गङ्गाधराय नमः ।

ॐ जलदाय नमः । ॐ त्रिपुरारये नमः । ॐ त्रिलोचनाय नमः । ॐ वधनाशनाय नमः ।

ॐ शौरये नमः । ॐ चक्रधारकाय नमः । ॐ विरूपाक्षाय नमः । ॐ गौतमाय नमः ।

ॐ माल्यवते नमः । ॐ द्विजेन्द्राय नमः । ॐ दिवानाथाय नमः । ॐ पुरन्दराय नमः ।

ॐ हंसबाहवे नमः । ॐ गरुडप्रियाय नमः । ॐ महायक्षाय नमः । ॐ सुयज्ञाय नमः ।

ॐ शुक्लवर्णाय नमः । ॐ पद्मबोधकाय नमः । ॐ लिङ्गिने नमः । ॐ उमापतये नमः ।

ॐ विनायकाय नमः । ॐ धनाधिपाय नमः । ॐ वासुकये नमः । ॐ युगाध्यक्षाय नमः ।

ॐ स्त्रीराज्याय नमः । ॐ सुभोगाय नमः । ॐ तक्षकाय नमः । ॐ पापहर्त्रे नमः ।

ॐ सुदर्शनाय नमः । ॐ महावीराय नमः । ॐ दुर्गनाशनाय नमः । ॐ पद्मगृहाय नमः ।

ॐ मृगलाञ्छनाय नमः । ॐ वेदरूपिणे नमः । ॐ अक्षमालाधराय नमः ।

ॐ ब्राह्मणप्रियाय नमः । ॐ विधये नमः ॥ १०८॥

इति ब्रह्माष्टोत्तरशतनामावलिः समाप्ता ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *