जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन
वही प्रेरणा पुंज हमारे , स्वामी पूज्य विवेकानंद। २
जिनके माथे गुरु कृपा थी , दैनिक गुण आलोक भरा।
अद्भुत प्रज्ञा परकटी जग में , धन्य – धन्य यह पुण्य धरा।
सत्य सनातन परम ज्ञान का , जो करते अभिनव चिंतन।
वही प्रेरणा पुंज हमारे , स्वामी पूज्य विवेकानंद।
जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन
जिनका फौलादी भुजबल था , हर संकट में सदा अटल।
मर्यादित तेजस्वी जीवन , सजग समर्पित था हर पल।
हो निर्भय जो करे गर्जना , जिनके अन्तस दिव्य अगन।
वही प्रेरणा पुंज हमारे , स्वामी पूज्य विवेकानंद।
जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन
जिसके रोम रोम म करुणा , समरस जनजीवन की चाह।
नष्ट करे सारे भेदों को , सेवाव्रत ही सच्ची राह।
दरिद्र ही नारायण जिनका , हर धड़कन में अपनापन।
वही प्रेरणा पुंज हमारे , स्वामी पूज्य विवेकानंद।
जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन
जिसके मन था स्वपन महान , हो भारत का पुनरुथान।
जीवनदीप में सब जलाकर पाए , गौरवमय – वैभव , सम्मान।
जगती में सब सुखद – सुमंगल , बहे सुगन्धित मुक्त पवन।।
वही प्रेरणा पुंज हमारे , स्वामी पूज्य विवेकानंद।
जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन
वही प्रेरणा पुंज हमारे , स्वामी पूज्य विवेकानंद।।
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दरिद्र ही नारायण जिनका , हर धड़कन में अपनापन