जर्मनी से पढाई कर लौटी युवती को भाया सेवा का भाव बानी आईएएस अधिकारी

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आइये आज हम आपको एक एक लड़की समीरा जी की सफलता की कहानी बताते है जो एक छोटे से गांव से थी इन्होने ने अपनी स्कूल की पढाई केरल के कोट्टम से, स्नातक चेन्नई से और परास्नातक की पढ़ाई धनबाद से की समीरा जी बचपन से ही पढाई में बहुत अच्छी थी इनकी प्रतिभा को इनके माता पिता व परिवारजनों में बचपन में ही भाप लिया था अपनी पढाई पूर्ण करने के बाद यह ग्रह नछत्रो पर शोध करने के लिए जर्मनी चली गयी और जर्मनी में भी इन्होने अपनी भारतीयता का लोहा मनवाया जी वही ग्रह नछत्र जिसे कुछ लोगो द्वारा ढपोसला बता कर मजाक उड़ाया जाता है लेकिन इसकी शोध जर्मन जैसे देशो में हो रही है यह हमारे भारतीयों के लिए गर्व की बात है

और हो भी क्यों नहीं क्योकि प्राचीनतम काल में ही भारतीयों ने ग्रह नछत्रो की खोज व उसका अध्यन कर लिया था जिसमे आर्यभट ,ब्रम्हगुप्त जी का नाम प्रमुख है जिन्होंने उस समय ही बता दिया था की सूर्य मध्य में स्थित है और पृथ्वी उसके चारो और परिक्रमा लगाती है लेकिन मैकाले शिक्षा पद्धति द्वारा हमारे इस स्वर्णिम इतहास को छुपा दिया गया और हमें गुलाम ,अनपढ़ बना कर प्रस्तुत किया गया लेकिन सत्य बहुत दिनों तक छुपाया नहीं जा सकता है इसी विषय पर संघ लोक सेवा आयोग ने १९९६ में एक प्रश्न पूछा था की न्यूटन से भी पहले किसने गुरुत्वकर्षण की खोज की थी तो उसका सही उत्तर ब्रम्हगुप्त था शायद इन्ही सरे प्रश्नो और विषयो ने समीरा जी के मन में खलबली सी मचा दी थी और वो जर्मन ग्रह नछत्रो की शोध करने चली गयी .

लेकिन विधि का विधान तो कुछ और ही था जब समीरा जी जर्मनी में थी तो उनके पिता जी का आकस्मातिक निधन हो गया लेकिन उनके माता व उनके परिवारजनों में उनके हौसले को टूटने नहीं दिया और समीरा जी ने वर्ष २०१५ में जर्मनी से अपनी शोध करके भारत वापस लौटी लेकिन वो जर्मनी से भारत आ रही थी तो उनके मन में सेवा का भाव जग गया शायद उन्होंने वहाँ पर सामी विवेकानंद जी की जीवनी पढ़ी थी जिनका कहना था की सेवा परमो धर्म है इसी बात से प्रेरित होकर समीरा जी ने सिविल सेवा को और अपना रुख किया उनका कहना था कि देश, समाज और मानवता के लिए कुछ बेहतर करने का सबसे सशक्त माध्यम सिविल सेवा है। अपनी इसी भावना के साथ इन्होंने केरल में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। पहला प्रयास इन्होंने 2016 में किया , पर सफलता नहीं मिली।2017 में अपने दूसरे प्रयास में इन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास करके देश व समाज के लिए कुछ बेहतर करने के अपने संकल्प की शुरुआत की। हजारीबाग जिले में प्रशिक्षण लेने के बाद समीरा की पहली ही पोस्टिंग राजधानी रांची में हुई।

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