नटराज स्तुति ( शिव आनंद तांडव स्तोत्रम ) || Shree Natraj Stuti

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नटराज शिव शंकर का एक नाम है इस नाम से वह सबसे उत्तम नर्तक के रूप में जाने जाते हैं।

नटराज दो शब्दों के समावेश से बना है – नट (अर्थात कला) और राज । इस स्वरूप में शिव कालाओं के आधार हैं।

नटराज शिव का स्वरूप न सिर्फ उनके संपूर्ण काल एवं स्थान को ही दर्शाता है; अपितु यह भी बिना किसी संशय स्थापित करता है कि ब्रह्माण्ड में स्थित सारा जीवन, उनकी गति कंपन तथा ब्रह्माण्ड से परे शून्य की नि:शब्दता सभी कुछ एक शिव में ही निहित है।

शिव का तांडव नृत्य प्रसिद्ध है। शिव के तांडव के दो स्वरूप हैं। पहला उनके क्रोध का परिचायक, प्रलयकारी रौद्र तांडव तथा दूसरा आनंद प्रदान करने वाला आनंद तांडव पर ज्यादातर लोग तांडव शब्द को शिव के क्रोध का पर्याय ही मानते हैं।

रौद्र तांडव करने वाले शिव रुद्र कहे जाते हैं, आनंद तांडव करने वाले शिव नटराज के रूप में जाने जाते है ।

प्राचीन आचार्यों के मतों के अनुसार शिव के आनन्द तांडव से ही सृष्टि अस्तित्व में आती है तथा उनके रौद्र तांडव में सृष्टि का विलय हो जाता है।

सत सृष्टि तांडव रचयिता

नटराज राज नमो नमः|

हे नटराज आप ही अपने तांडव द्वारा सृष्टि की रचना करने वाले हैं| हे नटराज राज आपको नमन है|

हे आद्य गुरु शंकर पिता

नटराज राज नमो नमः|

हे शंकर आप ही परं पिता एवं आदि गुरु हैं. हे नटराज राज आपको नमन है|

गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्मांडना

नित होत नाद प्रचंडना नटराज राज नमो नमः|

हे शिव, ये संपूर्ण विश्व आपके मृदंग के ध्वनि द्वारा ही संचालित होता है| इस संसार में व्याप्त प्रत्येक ध्वनि के श्रोत आप हे हैं| हे नटराज राज आपको नमन है |

शिर ज्ञान गंगा चंद्र चिद ब्रह्म ज्योति ललाट मां

विष नाग माला कंठ मां नटराज राज नमो नमः|

हे नटराज आप ज्ञान रूपी चंद्र एवं गंगा को धारण करने वाले हैं, आपका ललाट से दिव्या ज्योति का स्रोत है| हे नटराज राज आप विषधारी नाग को गले में धारण करते हैं| आपको नमन है|

तवशक्ति वामे स्थिता हे चन्द्रिका अपराजिता |

चहु वेद गाएं संहिता नटराज राज नमो नमः|

हे शिव (माता) शक्ति आपके अर्धांगिनी हैं, हे चंद्रमौलेश्वर आप अजय हैं. चार वेदा आपकी ही सहिंता का गान करते हैं. हे नटराज राज आपको नमन है |

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