नन्हा पौधा – वेंकटेश चन्द्र पाण्डेय

0

एक बीज था गया बहुत ही
गहराई में बोया।
उसी बीज के अंतर में था
नन्हा पाौधा सोया।

एक बीज था गया बहुत ही
गहराई में बोया।
उसी बीज के अंतर में था
नन्हा पाौधा सोया।

उस पौधे को मंद पवन ने
आकर पास जगाया।
नन्हीं नन्हीं बूंदों ने फिर
उस पर जल बरसाया।

सूरज बोला “प्यारे पौधे
निंद्रा दूर भगाओ।
अलसाई आंखें खोलो तुम
उठ कर बाहर आओ।

आंख खोल कर नन्हें पौधे
ने तब ली अंगड़ाई।
एक अनोखी नई शक्ति सी
उसके तन में आई।

नींद छोड़ आलस्य त्याग कर
पौधा बाहर आया।
बाहर का संसार बड़ा ही
अदभुत उसने उसने पाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *