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बढे चलो बढे चलो

न हाथ एक अस्त्र हो ,

न साथ एक शस्त्र हो ,

न अन्न नीर वस्त्र हो ,

हटो नहीं डटो वहीं बढे चलो बढे चलो। ।

रहे सक्षम हिमशिखर ,

तुम्हारा पग उठे निखर ,

भले ही जाय तन बिखर ,

रुको नहीं नहीं बढे चलो बढे चलो। ।

घटा घिरी अटूट हो

अधर में कालकूट हो

वही अमृत का घूंट हो

जिए चलो मरे चलो बढे चलो बढे चलो। ।

गगन उगलता आग हो

छिड़ा मरण का राग हो

लहू का अपना फाग हो

अड़ो वहीं गड़ो वहीं बढे चलो बढे चलो। ।

चलो नयी मिसाल हो

चलो यही मशाल हो

बढ़ो नया कमाल हो

रुको नहीं झुको नहीं बढे चलो बढे चलो। ।

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