भौम प्रदोष व्रत कथा || Bhoum Pradosh Vrat Katha

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इससे पूर्व आपने पढ़ा कि सोमवार के दिन को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कथा कहते हैं। अब पढेंगे कि- भौम का अर्थ है मंगल और प्रदोष का अर्थ है त्रयोदशी तिथि। मंगलवार को त्रयोदशी तिथि होने से इसको मंगल प्रदोष या भौम प्रदोष या भौम प्रदोषम् कहा जाता है व इस व्रत कथा को भौम प्रदोष व्रत कथा कहा जाता है। इस दिन शिव जी और हनुमान जी दोनों की पूजा की जाती है। इस दिन शिव जी की उपासना करने से हर दोष का नाश होता है तथा हनुमान जी की पूजा करने से शत्रु बाधा शांत होती है और कर्ज से छुटकारा मिलता है। इसे विशेष रूप से अच्छी सेहत और बीमारियों से मुक्ति की कामना से किया जाता है। इस दिन उपवास करने से गोदान का फल मिलता है और उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। भौम प्रदोष के दिन हनुमान जी की उपासना करने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है।

भौम प्रदोष व्रत कथा पूजन विधि

– प्रातः काल उठकर पूजा का संकल्प लें।

– इसके बाद ईशान कोण में शिव जी की स्थापना करें।

– शिव जी को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।

– कुश के आसन पर बैठकर शिव जी के मन्त्रों का जाप करें।

– इसके बाद अपनी समस्याओं के अंत होने की प्रार्थना करें।

– निर्धनों को भोजन कराएं।

भौम प्रदोष व्रत कथा पर मंगल दोष की समस्या से मुक्ति के लिए निम्न उपाय करें-

– भौम प्रदोष के दिन शाम को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं।

– उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाएं।

– भाव सहित सुन्दरकाण्ड का पाठ करें।

– मंगल दोष की समाप्ति की प्रार्थना करें।

– हलवा पूरी का प्रसाद निर्धनों में बांट दें।

– मंगल दोष की पीड़ा से छुटकारा मिलेगा।

भौम प्रदोष व्रत कथा में असाध्य रोगों से मुक्ति के लिए निम्न उपाय करें-

– प्रातःकाल लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी की उपासना करें।

– हनुमान जी को लाल फूलों की माला चढ़ाएं, दीपक जलायें और गुड़ का भोग लगायें।

– इस ताम्बे का तिकोना टुकड़ा भी अर्पित करें।

– इसके बाद संकटमोचन हनुमानाष्टक का 11 बार पाठ करें।

– गुड़ का भोग बाटें और ग्रहण करें।

– तिकोने टुकड़े को गले में धारण कर लें या अपने पास रख लें।

भौम प्रदोष व्रत कथा पर कर्ज मुक्ति के लिए निम्न उपाय करें-

– कर्ज मुक्ति का प्रयोग भौम प्रदोष की रात्रि को करें।

– रात्रि को हनुमान जी के समक्ष घी का दीपक जलायें।

– इस दीपक में नौ बातियां लगाएं और हर बाती जलाएं।

– इसके बाद हनुमान जी को उतने लड्डू अर्पित करें, जितनी आपकी उम्र है।

– “हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट” का 11 माला जाप करें।

– सारे लड्डू बांट दें।

भौम प्रदोष व्रत कथा का महत्त्व

* भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवानशिव की पूजा की जाती है। इससे जातक के जीवन में मंगल ग्रह के कारण मिलने वाले अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

* कर्ज से मुक्ति के लिए इस दिन शाम के समय किया गया हनुमान चालीसा का पाठ लाभदायी सिद्ध होता है।

* इस दिन मंगल देव के 21 या 108 नामों का पाठ करने से ऋण से जातक को जल्दी छुटकारा मिल जाता है।

* इस व्रत-पूजन से मंगल ग्रह की शांति भी हो जाती है।

* मंगल ग्रह की शांति के लिए इस दिन व्रत रखकर शाम के समय हनुमान और भोलेनाथ की पूजा की जाती है।

* इस दिन हनुमान जी को बूंदी के लड्डू अर्पित करके उसके बाद व्रतधारी को भोजन करना चाहिए।

* भौम प्रदोष का व्रत बहुत प्रभावकारी माना गया है। जहां एक ओर भगवान शिव व्रतधारी के सभी दुःखों का अंत करते हैं, वहीं मंगल देवता अपने भक्त की हर तरह से मदद करके उसे उस बुरी स्थिति से बाहर निकालने में उसकी मदद करते हैं।
भौम प्रदोष व्रत कथा

भौम प्रदोष की व्रत कथा इस प्रकार है –

एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी। एक बार हनुमानजी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची।

हनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे?

पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज।

हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे।

वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज। लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी।

साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा।

यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया।

वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई।

इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।

इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ।

लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी।

हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।

भौम प्रदोष व्रत कथा समाप्त ।

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