गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्वता ॐ के बराबर मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। आर्ष मान्यता के अनुसार गायत्री एक ओर विराट् विश्व और दूसरी ओर मानव जीवन, एक ओर देवतत्व और दूसरी ओर भूततत्त्व, एक ओर मन और दूसरी ओर प्राण, एक ओर ज्ञान और दूसरी ओर कर्म के पारस्परिक संबंधों की पूरी व्याख्या कर देती है। सभी देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिये उनके अलग-अलग गायत्री मन्त्र हैं..
देवी देवताओं का गायत्री मन्त्रगायत्री मंत्र : ” ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ” गणेश गायत्री मंत्र :- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।। ब्रह्मा गायत्री मंत्र :- ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।। ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।। ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।। विष्णु गायत्री मंत्र :- ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।। शिव गायत्री मंत्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।। ॐ पंचवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ।। दक्षिणामूर्ति गायत्री मंत्र :- ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे, ध्यानस्थाय धीमहि, तन्नो धीश: प्रचोदयात् ।। हयग्रीव गायत्री मंत्र :- ॐ वागीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि, तन्नो हंस: प्रचोदयात् ।। दुर्गा गायत्री मंत्र :- ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।। ॐ महाशूलिन्यै विद्महे, महादुर्गायै धीमहि, तन्नो भगवती प्रचोदयात् ।। ॐ गिरिजाय च विद्महे, शिवप्रियाय च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।। सरस्वती गायत्री मंत्र :- ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् । ॐ देव्यै ब्रम्हाण्यै विद्महे महाशक्तयै च धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् । लक्ष्मी गायत्री मंत्र :- ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।। शक्ति (गौरी) गायत्री मंत्र :- ॐ सुभगायै – विद्महे काममालिन्यै धीमहि । तन्नो गौरी प्रचोदयात् । ॐ सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि, तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।। अन्नपूर्णा गायत्री मंत्र :- ॐ भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि, तन्नोन्नपूर्णा प्रचोदयात् ।। काली गायत्री मंत्र :- ॐ कालिकायै च विद्महे, श्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।। नन्दिकेश्वर गायत्री मंत्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।। गरुड़ गायत्री मंत्र :- ॐ वैनतेयाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि, तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ।। हनुमान गायत्री मंत्र :- ॐ आंजनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।। ॐ वायुपुत्राय विद्महे, रामदूताय धीमहि, तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ।। शण्मुख गायत्री मंत्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महासेनाय धीमहि, तन्नो शण्मुख प्रचोदयात् ।। अयप्पन गायत्री मंत्र :- ॐ भूतादिपाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो शास्ता प्रचोदयात् ।। धनवन्तरी गायत्री मंत्र :- ॐ अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि, तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात् ।। कृष्ण गायत्री मंत्र :- ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्ण प्रचोदयात् ।। राधा गायत्री मंत्र :- ॐ वृषभानुजाय विद्महे, कृष्णप्रियाय धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात् ।। राम गायत्री मंत्र :- ॐ दशरथाय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात् ।। सीता गायत्री मंत्र :- ॐ जनकनन्दिंयै विद्महे, भूमिजयै धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात् ।। तुलसी गायत्री मंत्र :- ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।। शंख गायत्री मंत्र :- ॐ पांचजन्याय विद्महे पावमानाय धीमहि । तन्नो शंख: प्रचोदयात् ।। नृसिंह गायत्री मंत्र :- ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्णदंष्ट्राय धीमहि । तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात् । सूर्य गायत्री मंत्र :- ॐ भास्काराय विद्महे महत्द्युतिकराय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् । लक्ष्मण गायत्री मंत्र :- ॐ दाशरथाय विद्महे उर्मिलेशाय धीमहि । तन्नो लक्ष्मण: प्रचोदयात् । गोपाल गायत्री मंत्र :- ॐ गोपीप्रियया विद्महे वासुदेवाय – धीमहि । तन्नो गोप: प्रचोदयात् । दत्त गायत्री मंत्र :- ॐ दिगम्बराय विद्महे अवधूताय धीमहि । तन्नो दत्त: प्रचोदयात् । गुरु गायत्री मंत्र :- ॐ जलबिंबाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि । तन्नोऽम्बु प्रचोदयात् । अग्नि गायत्री मंत्र :- ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निमयाय धीमहि । तन्नोऽग्नि: प्रचोदयात् । चन्द्र गायत्री मंत्र :- ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्वाय धीमहि । तन्नो्श्चन्द्र: प्रचोदयात् । गंगा गायत्री मंत्र :- ॐ भागीरथ्यैच विद्महे विष्णुपद्यै च – धीमहि । तन्नो गंगा प्रचोदयात् । हंस गायत्री मंत्र :- ॐ परमहंसाय विद्महे धीमहि महत्तत्वाय धीमहि । तन्नो हंस प्रचोदयात् । |