गायत्री शापविमोचन – Gayatri Shap Vimochan
तन्त्र श्रृंखला में मन्त्रमहार्णव के गायत्रीतन्त्र के भाग-३ में गायत्री शापविमोचन- ब्रह्मशापविमोचन को दिया जा रहा है।
गायत्रीशापविमोचन – ब्रह्मशापविमोचन
ॐ अस्य श्रीब्रह्मशापविमोचनमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः ।
भुक्तिमुक्तिप्रदा ब्रह्मशापविमोचनी गायत्रीशक्तिर्देवता ।
गायत्री छन्दः । ब्रह्मशापविमोचने विनियोगः ।।
विनियोग : इस ब्रह्मशाप विमोचन मन्त्र का ब्रह्मा ऋषि है; भुक्ति तथा मुक्तिप्रदान करनेवाली, ब्रह्मशाप को छुड़ानेवाली गायत्री शक्ति देवता है; गायत्री छन्द है; ब्रह्मशाप के विमोचन में इसका विनियोग है।
ॐ गायत्रीब्रह्मेत्युपासीत यद्रूपं ब्रह्मविदो विदुः ।
तां पश्यन्ति धीराः सुमनसा वाचामग्रतः ।
“ॐ वेदान्तनाथाय विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि।
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।
ॐ देवी गायत्री त्वं ब्रह्मशापविमुक्ता भव ।”
इस मन्त्र से ब्रह्मशाप का विमोचन करना और इसका तीन दिन पाठ करना चाहिये।
वसिष्ठशापविमोचन :
ॐ अस्य श्रीवसिष्ठशापविमोचनमन्त्रस्य निग्रहानुग्रहकर्ता बसिष्टऋषिः ।
वसिष्ठानुगृहीता गायत्री शक्तिर्देवता ।
विश्वोद्भवा गायत्री छदः, वसिष्ठशापविमोचने विनियोगः ।
विनियोग : इस वसिष्ठशापविमोचन मंत्र के निग्रहानुग्रहकर्ता वसिष्ठ ऋषि हैं, वसिष्ठानुगृहीता गायत्री शक्ति देवता है, विश्वोद्भवा गायत्री छन्द है, और वसिष्ठशाप विमोचन में इसका विनियोग है।
ॐ सोहमर्कमयं ज्योतीरात्मज्योतिरहं शिवः ।
आत्मज्योतिरहं शुक्रः सर्वज्योतिरसोस्यहम् ।
ॐ देवी गायत्री त्वं वसिष्ठशापविमुक्ता भव ।
इसका तीन दिन पाठ करना चाहिये ।
विश्वामित्रशापमोचन :
ॐ अस्य श्रीविश्वामित्रशापमोचनमन्त्रस्य नूतनसृष्टिकर्ता विश्वामित्र ऋषिः ।
विश्वामित्रानुगृहीता गायत्री शक्तिर्देवता ।
वाग्देहा गायत्री छन्दः। विश्वामित्रशापमोचने विनियोगः ।
विनियोग : इस विश्वामित्रशापमोचन मंत्र के नूतन सृष्टिकर्ता विश्वामित्र ऋषि हैं, विश्वामित्रनुगृहीता गायत्री शक्ति देवता है, वाग्देहा गायत्री छन्द है, और विश्वामित्रशापमोचन में इसका विनियोग है।
ॐ गायत्रीं भजाम्यग्निमुखीं विश्वगर्भाः यदुद्भवा
देवाश्चक्रिरे विश्वसृष्टि तां कल्याणीमिष्टकरी प्रपद्ये ।
यन्मुखानिःसृतोऽखिलवेदगर्भः ।
ॐ गायत्री त्वं विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव ।
इसका तीन दिन पाठ करना चाहिये।
शापोद्धार करने के बाद इस प्रकार करबद्ध प्रार्थना करनी चाहिये :
तथा च :सोहमर्कमयं ज्योतिरर्कोज्योतिरहं शिवः ।
आत्म ज्योतिरहं शुक्रः शुक्रज्योतिरसोहमोम् ॥१॥
महोविष्णु महेशेशे दिव्ये सिद्धि सरस्वति ।
अजरे अमरे चैव दिव्ययोनि नमोस्तुते ।।
इस प्रकार प्रार्थना करने के बाद शापरहित शुद्ध गायत्री की भावना करके ध्यान करना चाहिये :
गायत्री ध्यान :
ॐ यद्देवैः सुरपूजितं परतरं सामर्थ्य तारात्मिकं पुत्रागांबुजपुष्पनागवकुलीः केशः शुकैरर्चितम् ।
नित्यं ध्यानसमस्तदीप्तिकरणं कालाग्निरुद्दीपनं तसंहारकरं नमामि सततं पातालसंस्थं मुखम् ।।
इति: गायत्रीतंत्रे गायत्रीशापविमोचन मन्त्र: ॥