हम आये शरण तुम्हारी Hum Aaye Sharan Tumhari

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हम तो आये शरण में तुम्हारी
लाज हाथो में तेरे हमारी
हम को तुम पे भरोसा अटल है
तुम सम्बालोगे हम को मुरारी
हम तो आये शरण में तुम्हारी

हम को विश्वास तुम पे है इतना
गेहरा होता समुन्द्र है जितना
आसमानों से उचा इरादा साथ तेरा हमारे वो वादा
हार पग पग पे तुम से हारी
इस लिए जीत आगे हमारी
हम तो आये शरण में तुम्हारी

हम भगत तेरे डर क्या है हम को
फिर डराती है ये विपता है किस को
हम तो जैसे भी सेह लेंगे इसको
ये सहेगी भला कैसे तुझको
क्या बिगड़ेगी विपदा विचारी
है खड़ा समाने चकर धारी

जब से सोंपी है नैया ये तुझको फिर तूफानों से डर क्या है हम को
या किनारों को आना पड़ेगा
या फिर पोंछाये मझधार इसको
देख विस्मिथ हुए संसारी
बना निर्मल का माझी बिहारी

2 thoughts on “हम आये शरण तुम्हारी Hum Aaye Sharan Tumhari

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