IAS अधिकारी बनने के बाद अपने पिता के कत्ल के लिए 31 सालों तक लड़ती रही, सच्चाई की जीत हुई

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माता-पिता का अपने बच्चों के साथ सबसे अनमोल रिश्ता होता है। बच्चे भी अपने माता-पिता की सेवा करना चाहते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी बच्चे होते हैं जिन्हें इनसे कोई मतलब नहीं होता। वहीं कुछ बच्चे अपने पिता का सपने पूरा करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए जी-जान लगा देते हैं। आखिरकार न्याय प्राप्त कर ही चैन की सांस लेते हैं। यह कहानी ऐसे बेटियों की है जिन्होंने अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए 31 वर्षों की लड़ाई लड़ी और यह साबित कर दिया कि बेटियां अपने माता-पिता के लिए कुछ भी कर सकती हैं। आइये पढ़ते हैं, इनकी कहानी।

राष्ट्र के कई हिस्सों में नकली मुठभेड़ एक भयानक वास्तविकता है। ज्यादातर मुठभेड़ों में कुछ निर्दोष की मृत्यु हो जाती है और कोई कुछ नहीं करता। ऐसा ही एक फर्जी एनकाउंटर लगभग 35 साल पहले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोंडा (Gonda) जिले में हुआ था। उस दिन 13 लोग मारे गए थे, जिनमें से एक पुलिस उपाधीक्षक केपी सिंह (K. P. Singh) थे।

जब यह बात केपी सिंह के बेटी और उनकी पत्नी को पता चली कि उनके पिता और पति की जान ऐसे ही गयी है तो उन्होंने न्याय के लिए कदम आगे बढ़ाया। इस बात की भनक जब छोटे अपराधियों को लगी कि उस पुलिस अधिकारी की बेटी किंजल सिंह (Kinjal Singh) और उनकी पत्नी विभा (Vibha) न्याय पाने के लिए दृढ़ संकल्प ले रहीं हैं तो अपराधी थोड़े डर से गयें।

मां ने बेटियों को पढ़ाने के लिए किया नौकरी

बहुत कम उम्र में जब दूसरे बच्चे घर के बाहर बेफिक्र खेलते हैं, उस उम्र में किंजल अपनी मां विभा के साथ, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर से दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के चक्कर काटती थीं। एक मजबूत एकल मां और एक समर्पित पत्नी ने वाराणसी के खजाने में नौकरी की और अपनी दोनों बेटियों को शिक्षा ग्रहण कराने के साथ अपने पति को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ती रहीं। यह संघर्ष अगले 31 वर्षों तक जारी रहा तब भी उन्हें आखिरकार न्याय नहीं मिला।

डीएसपी केपी सिंह को जब पता चला कि उनके साथी रिश्वत लेकर गलत काम करते है तो उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठानी चाही। तब उन्हें उनके साथियों ने एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया कि कहीं उनका डीएसपी केपी सिंह पर्दाफाश ना करदें। इस दौरान उनके साथ 12 ग्रामीण और कुछ अन्य अफसरों की जान भी गई थी।

विभा को हुआ कैंसर

किंजल ने उत्तर प्रदेश के घर से दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट तक के दौरे के साथ-साथ कड़ी मेहनत से पढ़ाई की। वह दिल्ली के सम्मानित कॉलेज “श्री राम कॉलेज” में दाख़िल हुई, लेकिन इस दौरान एक और दुःखद घटना सामने आईं। उनकी मां को कैंसर हो गया और यह खबर उनकी बेटियों के लिए एक झटका बन गई जो पहले ही अपने पिता को खो चुकी थीं। अपनी बीमारी के साथ एक गहन लड़ाई के बाद, विभा की मृत्यु हो गईं। लेकिन उन्हें यकीन था कि उनकी दोनों बेटियां IAS अधिकारी बनकर अपने पिता की मौत के लिए न्याय ज़रूर मांगेगी।

किंजल को है मां पर गर्व

एक रिपोर्ट में किंजल ने बताया कि वह अपने पिता पर गर्व करती हैं। वह कहती हैं, मेरे पिता एक ईमानदार अधिकारी थे और मेरी मां एक मजबूत एकल माता-पिता और एक मजबूत पत्नी बनकर अपने पति के साथ हुए अन्याय के खिलाफ खड़ी हुईं।

बेटियों ने किया पिता का सपना पूरा

केपी सिंह का सपना आईएएस अधिकारी बनना था और यह सपना उनकी बेटियों ने पूरा किया है। अपनी मां की मृत्यु के बाद, किंजल जल्द ही अपने कॉलेज में अपनी अंतिम परीक्षा देने के लिए लौट आई। अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई के तुरंत बाद, वह अपनी छोटी बहन, प्रांजल सिंह (Pranjal singh) को भी दिल्ली ले आई। दोनों बहनों ने अपना पूरा ध्यान UPSC परीक्षा की तैयारी पर केंद्रित कर दिया। फिर क्या होना था जिस लग्न और जुनून से दोनों ने तैयारी की, वैसा परिणाम सामने आया। 2007 में किंजल को यूपीएससी की परीक्षा में 25 वीं रैंक हासिल हुई और प्रांजल को 252 वीं रैंक।

किंजल और उनकी बहन प्रांजल ने तब अपने जीवन का लक्ष्य अपने पिता को न्याय दिलाना रखा और चल पड़ी उसी राह पर जहां उनके सामने हर किसी को झुकना पड़ा। उनका दृढ़ संकल्प इतना मजबूत था कि इसने पूरी न्याय प्रणाली को हिला दिया। अंततः उनके पक्ष में फैसला आया। 2013 में उनके संघर्ष के 31 वर्षों के बाद, लखनऊ की सीबीआई विशेष अदालत ने सभी 18 अपराधियों को उनके पिता डीएसपी सिंह की हत्या के पीछे दंडित किया, और इन्हें न्याय मिला।

न्याय मिलने के बाद हुई भाव विभोर

किंजल ने बताया कि जब मेरे पिता की हत्या हुई थी तब मैं बहुत छोटी थी। किंजल को उनके पिता के साथ जुड़ी कोई भी बात याद नहीं है लेकिन इन्हें मां के साथ जुड़ी हर बात याद है। उन्होंने बताया कि 2004 में मेरी मां ने कैंसर का शिकार होने के बावजूद न्याय के लिए अपना संघर्ष जारी रखा। वह वक्त मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक था। अगर वह आज जीवित होती, मुझे यकीन है वह इस समय बहुत खुश होती।

एक पिता को न्याय दिलाने और उनके सपनों को पूरा करने के लिए इन दोनों बेटियों ने जो लड़ाई लड़ी वह सराहनीय है। किंजल, प्रांजल के लग्न और समर्पण को सलाम करता है।

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