जिसे नाम ईश्वर का भाता नहीं है लिखित भजन Jise Nam Ishwar Ka Lyrics

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जिसे नाम ईश्वर का भाता नहीं है ,
वह आनन्द जीवन का पाता नहीं है ।
यह माना कि सागर में मोती भरे हैं ,
जो असली हैं सुच्चे हैं बिल्कुल खरे हैं ।

न कुछ पा सका वह किनारे पे आके .
कदम जिसने लौटा के पीछे धरे हैं ।
जो सागर में गोता लगाता नहीं है ,
वह आनन्द जीवन का पाता नहीं है ।
जिसे नाम . . . . . .

आनन्द वन में सब ही खड़े हैं ,
अमृत के जिसमें लाखों घड़े हैं ।
भटकता रहे मगर आदमी यह ,
अन्धेरे में कैसे दिखाई पड़े हैं ।

जो भक्ति का दीपक जलाता नहीं है ,
वह आनन्द जीवन का पाता नहीं है ।
जहाँ पर न हो कर्म के सिलसिले ,
वहां फूल आशा के कैसे खिले ।

जो बैठा रहे आल सी ओट में ,
मिले उसे मंजिल तो कैसे मिले ।
पथिक पथ में जो पग बढ़ाता नहीं है ,
वह आनन्द जीवन का पाता नहीं है ।

जिसे नाम ईश्वर का भाता नहीं है ,
वह आनन्द जीवन का पाता नहीं है ।

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