माँ बगलामुखी पञ्जर न्यास स्तोत्र || Maa Baglamukhi Panjar Nyas Stotram

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बगलामुखी महाविद्या दस महाविद्याओं में आठवें स्थान की साधना मानी जाती हैं | माँ बगलामुखी पञ्जर न्यास स्तोत्र देवी बगलाुखी के 108 नामों को सूचीबद्ध करता है | माँ बगलामुखी पञ्जर न्यास स्तोत्र का पाठ करने से जातक को किसी भी प्रकार का भय नही होता हैं | जातक के शत्रु का विनाश व् स्तम्भन हो जाता हैं | उसकी रक्षा होती है। बगलामुखी का स्वरूप रक्षात्मक, शत्रुविनाशक एवं स्तंभनात्मक है

माँ बगलामुखी पञ्जर न्यास स्तोत्र || Maa Baglamukhi Panjar Nyas Stotram

बगला पूर्वतो रक्षेद् आग्नेय्यां च गदाधरी।

पीताम्बरा दक्षिणे च स्तम्भिनी चैव नैऋते ।।1।।

जिह्वाकीलिन्यतो रक्षेत् पश्चिमे सर्वदा हि माम्।

वायव्ये च मदोन्मत्ता कौवेर्यां च त्रिशूलिनी ।।2।।

ब्रह्मास्त्रदेवता पातु ऐशान्यां सततं मम।

संरक्षेन् मां तु सततं पाताले स्तब्धमातृका ।।3।।

ऊर्ध्वं रक्षेन् महादेवी जिह्वा-स्तम्भन-कारिणी।

एवं दश दिशो रक्षेद् बगला सर्व-सिद्धिदा ।।4।।

एवं न्यास-विधिं कृत्वा यत् किञ्चिज्जपमाचरेत्।

तस्याः संस्मरेणादेव शत्रूणां स्तम्भनं भवेत् ।।5।।

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