Manusmriti pdf download In Hindi || मनुस्मृति पीडीएफ डाउनलोड हिंदी में

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मनुस्मृति की भूमिक
विश्वानि देव संवितर्दुरितानि परासुव। . यद्भद्रं तन्नासुव॥
धर्म। धर्मशास्त्र के अत्यावश्यक कुछ विषय संक्षेप से लिखते है जिनके न जानने से वर्तमान काल में बड़ी भारी हानि है। ये विषय प्रायः धर्मसंहिता नामक निबन्ध ग्रन्थ से लिये . गये हैं।
यहां धर्म शब्द, पङ्कजशब्द के समान योग रूढ़ है। गिरते हुए मनुष्य का जो आधार होकर धारण करता है वह धर्म है । यह धर्म शब्द का अक्षरार्थ कहलाता है। और अनिष्ट से संवन्ध न रखनेवाले इष्टफल का साधन धर्म है। यह धर्मशब्द का प्रसिद्ध अर्थ कहलाता है । भगवान् कणाद मुनि ने वैशेपिकदर्शन में ‘यतोऽभ्युदयंनिश्रेयससिद्धिः स धर्मः” यह धर्म का लक्षण कहा है। अर्थात् जिस से लौकिक और पारलौकिक सुख प्राप्त हो वह धर्म है । और भगवान् जैमिनि मुनि ने मीमांसादर्शन में ‘ चोदनालक्षणोऽर्थों धर्मः’ यह क्रियासापेक्ष धर्म का लक्षण कहा है । अर्थ-जिस वाक्य के सुनने से कर्तव्य तथा अकर्तव्य कर्म का ज्ञान होवे उस (वाक्य) का चोदना, प्रेरणा, उपदेश और विधि नाम है; जिससे १ यह ग्रन्थ पूज्यपाद श्री ६ दुर्गाप्रसाद द्विवेदीजी, प्रधानाध्यापक, संस्कृत कालेज

Manusmriti Role.
Vishwani Dev Svitarduritani Parasuva. . Yadbhadram Tannasuva 4
religion. We briefly write some important topics of theology, which do not know there is a great loss in the present tense. This topic was usually taken from the essay book called Dharmasahita. Have gone
Here the word Dharma, like the word Pakaj, is a yogic rhetoric. Religion is the one who holds the base of a fallen human being. This is called the word letter of religion. And religion is the means of not benefiting from the evil. This is called the famous meaning of the word Dharmabard. Lord Kanad Muni has said in the Vaishapikadarshan, “Yatobhyudayanishreyasiddhi: S Dharma”: This is a characteristic of religion. That is, one who gets cosmic and otherworldly happiness is religion. And Lord Jaimini Muni has called this Chodnalakshanoortho Dharma: a characteristic of Kriyapaksa Dharma in Mimamsadarshan. Meaning – The sentence, which has knowledge of duty and non-actionable karma by listening, is the name of the sentence, inspiration, exhortation, and method; Due to which, this book is worshiped by Shri Durgaprasad Dwivedi, Principal, Sanskrit College.

 

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