नाथ दीनों पर दया करना लिखित भजन Nath Deeno Par Daya Karna Lyrics
दीनबन्धु ओ द्यालु , इस लिये ही नाम है । । १ । ।
शान्ति सुख पाया उसी ने जिसने पकड़ी है शरण ।
बिन कृपा तेरी प्रभु , किसको मिला आराम है । । २ । ।
आयु भर दिन रात , खोटे , काम ही करता रहा ।
फँस के माया मोह में , सोचा न कुछ अंजाम है ॥ ३ ॥
निज किये कर्मों का फल , मुझको मिलेगा हे प्रभु ।
याद कर दुःख चित्त , व्याकुल होत आठों याम है । । ४ । ।
कूँच का डंका बजे कब , है ये झणभंगुर शरीर ।
पथिक सदृश इस जगत् में चार दिन विश्राम है ॥ ५ ॥
पाके नर तन कुछ न निज , कर्तव्य का पालन किया ।
शोक ! इससे बढ़के कोई , और दुःख का ठाम है । । ६ ॥
पतितपावन नाम सुन , मुझको हुआ है आसरा ।
” मित्र ” पर कीजे दया , तू ही सकल सुखधाम है ॥ ७ ॥
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