Need Ka Nirman Fir Book Pdf Free Download || नीड़ का निर्माण फिर
कवि और साहित्यकार प्रायः वातावरण की अनुकूलता की दृष्टि से ऐसे क्षणों को चुनते हैं, पर प्रकृति, संभवतः अपने सहज संवरणीय स्वभाव से- प्रकृति में अपने को गुह्य रखने की प्रवृत्ति निश्चय है-वह वस्तुतः गुह्य श्वरी है-कितना कुछ विचित्र वह मानवों की आँख बचाकर करती रहती है;
और जब हम उसे देखते हैं अपनी आँखें फाड़ देते हैं । वह एक ऐसी जादूगरनी है जो हमें आश्चर्यचकित भी करती है, आघात-विमूच्छित भी ।
नोवैज्ञानिक दृष्टि से यह भी कहा जा सकता है कि ऐसा जो कुछ घटित होता है वह करणीय और अकरणीय, होनी और अनहोनी, होना और न होना (टु बी ऑर नॉट टु बी) के तनाव पर रहता है,
और दोनों के बीच की एक स्थिति, मध्य का एक बिन्दु ऐसा आता है जहाँ दोनों ओर का खिंचाव शून्य हो जाता है,
और तब, क्षण-भर में, किसी ओर को अणु मात्र का भी झुकाव होने से, दो में से एक हो रहता है। आधी रात शायद प्रतीक मात्र है दो तनावों के बीच की स्थिति का।