ठहरा हुआ कुछ भी नहीं है, संकट भी टल जाएगा

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जीवन का संबंध सिर्फ दो समय के भरपेट भोजन से बिल्कुल नहीं है। सोचने की बात है कि यह सांसों की माला हमें मिली ही क्यों। यह नियति का एक खेल है, जहां एक संकेत है कि एक सांस आती है, तो एक जाती है। इसलिए यह आना-जाना ही बीज है। अब इस मूल भाव से हम यह भी सीख लें कि दिल ने सारे शरीर को साफ रक्त भेजा तो हम भी अपने समाज को साफ ही रखें। मैला न करें, बीमार न होने दें। हम हर दिन कितने लोगों की मदद का भाव अपने मन में लाते हैं, यह हमारी आंतरिक ऊर्जा को बढ़ाता है। यह एक चिकित्सा पद्धति भी है, जो मन को अवसाद रहित करती है।

संत कबीर ने हर बार यह कहकर सतर्क किया कि यह दुनिया जैसे एक बुलबुला है, अभी है और अभी नहीं। इसीलिए कहा गया है संसार सरकने का नाम है। आज यहां है, कल वहां होगा। पकड़ नहीं सकते इसे। चूंकि चीजें बदलती ही रहती हैं, इसलिए जीवन में बहुत-सी घटनाएं ऐसी भी हो जाती हैं कि जो गुजर रही हैं। आप उनको स्थायी रूप से पकड़ नहीं सकते, तो एक काम करिए कि उनमें जो बुराई है उसे छोड़िए और अच्छाई को अपने साथ लेकर आगे के वक्त में चलिए तो दुनिया का सरकना नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

नियति ने हमें एक सुंदर चीज दी है, और वह है हमारा मन। मन सब जानता है। वह उस रेशमी कीट की तरह है जो काम के और बेकाम के रेशों मे फर्क समझता है। मन ही बातों और माहौल में अंतर करना जानता है और मन जिसको बुलाता है वही विचार मन में आता है। रावण ने विनाश को बुलाया, तो उसके मन ने कहा कि पहले सीता माता का अपहरण कर लो। यह सोचने की कोशिश करें कि आपके पास क्या अनमोल है और बाकी लोग अपना क्या अनमोल खो रहे हैं। यह सुकून देने वाला विचार है। कई बार अपना पक्ष रखने की बेचैन कोशिश करते हुए हम निराशा मोल ले लेते हैं। गुरुनानक ने नाराजगी और ईर्ष्या को पहला पत्थर माना है, जिससे टक्कर लगकर हम गिरते हैं। फिर भी यह गुस्सा है कि मन से जाता ही नहीं है।

एक बार एक पिता ने अपने क्रोधी और विचलित स्वभाव के बेटे को तीन चीजें- कॉफी, आलू और अंडा दीं। तीनों को अलग-अलग बर्तन में खौलते हुए पानी में डालने को कहा। कुछ मिनट बाद गरम पानी में अंडे बहुत सख्त हो गए क्योंकि उनको अपनी सख्त और सुरक्षित परत के भीतर मुलायम रहना आता था। आलू और नरम हो गए। सबसे बेहतरीन कॉफी निकली जो महकने लगी और हवा में उसकी खुशबू फैल गई। अब पिता ने बताया कि खौलता हुआ पानी परेशानी है। हम कैसी प्रतिक्रिया देते हैं यह हमें आलू, अंडा और कॉफी साफ समझा रहे हैं। हमें आलू की तरह और नरम, कॉफी की तरह और अधिक खुशबूदार हो जाना चाहिए। संकट की घड़ी में यदि कोई आपसे अच्छी बात कह रहा है, तो उसे केवल सुनने तक मत लीजिए, बारीकी से उस पर गौर भी कीजिए।

कहते हैं कि कायनात की हर चीज में चुंबकीय ताकत है, इसलिए सदैव अच्छी कल्पना करनी चाहिए। जब आप सकारात्मक सोचते हैं तो विश्वास और निष्ठा आपके जीवन को सुरक्षित बनाती है। बात यह है कि जो हमेशा खुश रहना चाहते हैं, उनके लिए आसपास उत्साह मौजूद है।

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