सच्चा तू करतार है सब का पालनहार है  Parmeshwar Se Preet Kar Lyrics लिखित भजन

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परमेश्वर से प्रीत कर मन अपने को जीत कर । ।
पर हित पर उपकार में जीवन को व्यतीत कर ।
परमेश्वर से प्रीत कर . . . . . . . . . . . . . १

इस दुनियाँ में सब से ऊँचा मानव का तन पाया है ।
जीने वाले सांस तुम्हारे जीवन का सरमाया है ।
वक्त रहेगा बीत कर , सोच समझ मनमीत कर ।
परहित पर उपकार में . . . . . . . . . . . . . २

तन को तो मज़बूत बनाया मन क्यों निर्बल तेरा है ।
बाहर तू ने दीप जलाए अन्दर घोर अन्धेरा है ।
बातें न विपरीत कर , मन को न भयभीत कर ।
परहित पर उपकार में . . . . . . . . . . . . . ३

जीवन है नैया की धारा सुख दुःख दो किनारे हैं ।
इसी के अन्दर आते जाते कितने जन्म गुज़ारे हैं ।
वर्तमान संगीत कर सफल भविष्य अतीत कर ।
परहित पर उपकार में . . . . . . . . . . . . . ४

आलस व अज्ञान के कारण धर्म कर्म सब भूल गया ।
धन दौलत को सब कुछ समझा इस झूले पर झूल गया ।
शुभ कर्म संगृहीत कर , मुक्ति ‘ पथिक ‘ निर्णीत कर ।
परहित पर उपकार में . . . . . . . . . . . . .५

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