Patanjali Yoga Sutra By Osho in Hindi PDF Free Download || पतंजलि योग सूत्र ओशो द्वारा हिंदी में पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड

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ज्ञानिक मानस सोचा करता था कि अव्यक्तिगत ज्ञान की, विषयगत ज्ञान की संभावना है। असल में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का यही ठीक-ठीक अर्थ हुआ करता था। ‘अव्यक्तिगत ज्ञान’ का अर्थ है कि ज्ञाता अर्थात जानने वाला केवल दर्शक बना रह सकता है। जानने की प्रक्रिया में उसका सहभागी होना जरूरी नहीं है। इतना ही नहीं, बल्कि यदि वह जानने की प्रक्रिया में सहभागी होता है तो वह सहभागिता ही ज्ञान को अवैज्ञानिक बना देती है। वैज्ञानिक ज्ञाता को मात्र द्रष्टा बने रहना चाहिए, अलग-थलग बने रहना चाहिए, किसी भी तरह उससे जुड़ना नहीं चाहिए जिसे कि वह जानता है।

The Gnanic Manas thought that there is a possibility of impersonal knowledge, of thematic knowledge. In fact, this was exactly what the scientific approach used to mean. ‘Impersonal knowledge’ Means that the knower means that only the spectator can remain a spectator. It is not necessary to be a participant in the process of knowing. Not only this, but if he participates in the process of knowing, then that participation makes knowledge unscientific. The scientist should remain a mere observer, remain isolated, not in any way connected to what he knows.

 

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