Poem on 26 January || 26 जनवरी पर कविता

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Poem on 26 January

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये;

अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

अपना 67वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे;

देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।

26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,

भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था,

मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,

थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी,

था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।

विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,

पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।

इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,

थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये,

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,

अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

 

26 जनवरी पर कविता

देखो 26 जनवरी है आयी,
गणतंत्र की सौगात है लायी।
अधिकार दिये हैं इसने अनमोल,
जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।

हर साल 26 जनवरी को
होता है वार्षिक आयोजन,
लाला किले पर होता है
जब प्रधानमंत्री का भाषन,
नयी उम्मीद और नये पैगाम से,
करते है देश का अभिभादन,
अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर
अर्पित करते श्रद्धा सुमन,
2 मिनट के मौन धारण से
होता शहीदों को शत-शत नमन।

सौगातो की सौगात है,
गणतंत्र हमारा महान है,
आकार में विशाल है,
हर सवाल का जवाब है,
संविधान इसका संचालक है,
हम सब का वो पालक है,
लोकतंत्र जिसकी पहचान है,
हम सबकी ये शान है,
गणतंत्र हमारा महान है,
गणतंत्र हमारा महान है।

 

26 January Par Kavita

आज नई सज-धज सेगणतंत्र दिवस फिर आया है।
नव परिधान बसंती रंग कामाता ने पहनाया है।
भीड़ बढ़ी स्वागत करने कोबादल झड़ी लगाते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों मेऋतुराज खड़े मुस्काते हैं।
धरनी मां ने धानी साड़ीपहन श्रृंगार सजाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

भारत की इस अखंडता कोतिलभर आंच न आने पाए।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाईमिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।
युवा वर्ग सक्षम हाथों सेआगे इसको सदा बढ़ाएं।
इसकी रक्षा में वीरों नेअपना रक्त बहाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

 

गणतंत्र दिवस पर कविता

पावन है गणतंत्र यह, करो खूब गुणगान।
भाषण-बरसाकर बनो, वक्ता चतुर सुजान॥

वक्ता चतुर सुजान, देश का गौरव गाओ।
श्रोताओं का मान करो नारे लगवाओ॥

इसी रीति से बनो सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्ति-लाभ का समय सुहाना यह दिन पावन॥

भाई तुमको यदि लगा, जन सेवा का रोग।
प्रजातंत्र की ओट में, राजतंत्र को भोग॥

राजतंत्र को भोग, मजे से कूटनीति कर।
झण्डे-पण्डे देख, संभलकर राजनीति कर॥

लाभ जहां हो वहीं, करो परमार्थ भलाई।
चखो मलाई मस्त, देह के हित में भाई॥

माँ तुझे सलाम देशभक्ति गीत लिरिक्स

कथनी-करनी भिन्नता, कूटनीति का अंग।
घोलो भाषण में चटक, देश-भक्ति का रंग॥

देश-भक्ति का रंग, उलीचो श्रोताओं पर।
स्वार्थ छिपाओ प्रबल, हृदय में संयम धरकर॥

अगले दिन से तुम्हें, वहीं फिर मन की करनी।
स्वार्थ-साधना सधे, भिन्न जब करनी-कथनी॥

बोलो भ्रष्टाचार का, होवे सत्यानाश।
भ्रष्टाचारी को मगर, सदा बिठाओ पास॥

सदा बिठाओ पास, आंच उस पर न आए।
करे ना कोई भूल, जांच उसकी करवाए॥

करे आपकी मदद, पोल उसकी मत खोलो।
है गणतंत्र महान, प्रेम से जय जय बोलो॥

कर लो भ्रष्टाचार का, सामाजिक सम्मान।
सुलभ कहां हैं आजकल, सदाचरण-ईमान॥

सदाचरण-ईमान मिले तो खोट उछालो।
बन जाओ विद्वान, बाल की खाल निकालो॥

रखो सोच में लोच, उगाही दौलत भर लो।
प्रजातंत्र को नोच, कामना पूरी कर लो॥

 

Poem on 26 January

सीने पर गोली खाते हैं
अपनी जान गंवाते हैं
इस तरह शहीद अपना देश बचाते हैं
देश के आगे छोटी हमारी जान है
तिरंगा हमारी शान है

सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता
जिसके गुण गाता है संसार सारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा

माह जनवरी छब्बीस को हम
सब गणतंत्र मनाते |
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते ||

संविधान आजादी वाला,
बच्चो ! इस दिन आया |
इसने दुनिया में भारत को,
नव गणतंत्र बनाया ||

क्या करना है और नही क्या ?
संविधान बतलाता |
भारत में रहने वालों का,
इससे गहरा नाता ||

यह अधिकार हमें देता है,
उन्नति करने वाला |
ऊँच-नीच का भेद न करता,
पण्डित हो या लाला ||

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
सब हैं भाई-भाई |
सबसे पहले संविधान ने,
बात यही बतलाई ||

इसके बाद बतायी बातें,
जन-जन के हित वाली |
पढ़ने में ये सब लगती हैं,
बातें बड़ी निराली ||

लेकर शिक्षा कहीं, कभी भी,
ऊँचे पद पा सकते |
और बढ़ा व्यापार नियम से,
दुनिया में छा सकते ||

देश हमारा, रहें कहीं हम,
काम सभी कर सकते |
पंचायत से एम.पी. तक का,
हम चुनाव लड़ सकते ||

लेकर सत्ता संविधान से,
शक्तिमान हो सकते |
और देश की इस धरती पर,
जो चाहे कर सकते ||

लेकिन संविधान को पढ़कर,
मानवता को जाने |
अधिकारों के साथ जुड़ें,
कर्तव्यों को पहचानो ||

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