Prabal Prem Ke Pale Pad kar Lyrics | प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर लिरिक्स
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर ,
प्रभु को नियम बदलते देखा ।
अपना मान भले टल जाये ,
भक्त मान नहीं टलते देखा ।।
जिसकी केवल कृपा दृष्टि से ,
सकल विश्व को पलते देखा ।
उसको गोकुल में माखन पर ,
सौ सौ बार मचलते देखा ।।
जिस्के चरण कमल कमला के ,
करतल से न निकलते देखा ।
उसको ब्रज की कुंज गलिन में ,
कंटक पथ पर चलते देखा ।।
जिसका ध्यान विरंचि शंभु ,
सनकादिक से न सम्भलते देखा ।
उसको ग्वाल सखा मंडल में,
लेकर गेंद उछलते देखा ।।
जिसकी वक्र भृकुटि के डर से ,
सागर सप्त उछलते देखा ।
उसको माँ यशोदा के भय से ,
अश्रु बिंदु दृग ढ़लते देखा ।।