Ramayan Shatrughan Autobiography | शत्रुघ्न का जीवन परिचय : महान योद्धा, रामायण

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शत्रुघ्न अयोध्या के राजा दशरथ के चौथे पुत्र और राम के छोटे भाई थे। वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानीयाँ थीं- कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। कौशल्या से राम, कैकई से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न उत्पन्न हुए थे। शत्रुघ्न ने मधुपुरी (आधुनिक मथुरा) के शासक लवणासुर को मारकर मधुपुरी को फिर से बसाया था। शत्रुघ्न कम से कम बारह वर्ष तक मधुपुरी नगरी एवं प्रदेश के शासक रहे।

शत्रुघ्न
रामायण पात्र
रचनाकार दशरथ (पिता), सुमित्रा (माता)
Information
सम्बद्धता सुदर्शन चक्र के अवतार
उपाधि शत्रुओं एवं दुरचरियोन के परम वधकर्ता
परिवार राम , लक्ष्मण, भरत और शांता,
जीवनसाथी श्रुतिकीर्ति

त्रेता युग में जब भगवान विष्णु ने अपना सातवाँ अवतार लिया व अयोध्या नरेश दशरथ के घर श्रीराम के रूप में जन्म लिया तब उनके साथ उनके तीन सौतेले भाइयों ने भी जन्म लिया जिनमे से शत्रुघ्न सबसे छोटे भाई थे। वे भगवान विष्णु के शंख का अवतार थे। शत्रुघ्न की रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका थी। आज हम आपको शत्रुघ्न के जीवन के बारे में शुरू से अंत तक बताएँगे।

शत्रुघ्न का जीवन परिचय (Shatrughan In Ramayana In Hindi)

शत्रुघ्न का जन्म (Shatrughan Ka Janam Ramayan)

अयोध्या नरेश दशरथ ने अपनी तीनो रानियों के साथ पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया था जिसके फलस्वरूप उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। इसमें उनकी सबसे छोटी रानी सुमित्रा के गर्भ से दो पुत्रों का जन्म हुआ जिनमे लक्ष्मण बड़े व शत्रुघ्न सबसे छोटे थे। सबसे बड़े भाई राम व उनके बाद भरत थे। कुछ वर्षों तक अयोध्या के राजमहल में रहने के पश्चात शत्रुघ्न अपने भाइयों के साथ गुरु वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने चले गए थे।

शत्रुघ्न का विवाह व परिवार (Wife Of Shatrughan In Ramayana In Hindi)

गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद शत्रुघ्न अपने भाइयो सहित पुनः अयोध्या आ गए। तब श्रीराम का मिथिला की राजकुमारी माता सीता से विवाह हो गया। इसके पश्चात शत्रुघ्न का विवाह माता सीता की चचेरी बहन व महाराज जनक के छोटे भाई कुशध्वज की छोटी पुत्री श्रुतकीर्ति के साथ हुआ। श्रुतकीर्ति से शत्रुघ्न को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई जिनके नाम शत्रुघाती व सुबाहु थे।

शत्रुघ्न का मंथरा पर क्रोध (Shatrughan Ka Manthara Par Krodh)

अपने विवाह के कुछ समय पश्चात शत्रुघ्न भरत के साथ उनके नाना के राज्य कैकेय गए हुए थे। तब अचानक से अयोध्या के लिए दोनों राजकुमारों का बुलावा आया। वहां जाकर शत्रुघ्न को सब घटना का ज्ञान हुआ। उन्हें पता चला कि किस प्रकार उनके पीछे से उनकी सौतेली माँ कैकेयी के द्वारा प्रपंच रचा गया जिस कारण उनके पूजनीय भाई श्रीराम को चौदह वर्षों का कठोर वनवास मिला तथा उनकी भाभी सीता व भाई लक्ष्मण भी उनके साथ वनवास में चले गए। इस दुःख में उनके पिता दशरथ की भी मृत्यु हो गयी।

इस सब प्रपंच के पीछे उन्हें कैकेयी की प्रिय दासी मंथरा का हाथ होने का पता चला। मंथरा को कैकेयी ने बहुत सारे आभूषण तथा बहुमूल्य वस्तुएं उपहार में दी थी जिन्हें पहनकर वह मस्ती से अयोध्या के राजमहल में विचरण कर रही थी। जब शत्रुघ्न ने मंथरा को देखा तो वे आग-बबूला हो गए।

वे मंथरा को बालों से घसीटकर भरत के पास लेकर आए व उसका वध करने लगे। तब भरत ने उन्हें ऐसा करने से रोका तथा समझाया कि एक स्त्री का वध करना निंदनीय हैं तथा इसके लिए श्रीराम उन्हें कभी क्षमा नही करेंगे। यह सुनकर शत्रुघ्न ने मंथरा के प्राण नही लिए।

श्रीराम वनवास में शत्रुघ्न (Shatrughan Ayodhya)

शत्रुघ्न ने भरत के साथ मिलकर अपने पिता दशरथ का अंतिम संस्कार किया व उसके बाद चित्रकूट के लिए निकल गए। वहां उनकी श्रीराम से भेंट हुई जहाँ उन्होंने श्रीराम को वापस अयोध्या चलने का आग्रह किया लेकिन श्रीराम ने मना कर दिया। तब शत्रुघ्न भरत के साथ खाली हाथ अयोध्या लौट आए।

भरत ने श्रीराम की भांति चौदह वर्ष वनवासी की भांति रहने का निर्णय लिया और अयोध्या के पास नंदीग्राम में कुटिया बनाकर रहने लगे। वे वही से अयोध्या का राजकाज सँभालने लगे। उस समय अयोध्या के दो राजकुमार वन में थे तो एक राजकुमार नंदीग्राम में। केवल शत्रुघ्न ही अयोध्या के राजमहल में रहकर राजकीय व्यवस्था को संभाल रहे थे।

इस प्रकार शत्रुघ्न ने अयोध्या के राजमहल में रहकर चौदह वर्षों तक राजकाज को सँभालने में सहायता की व सभी माताओं की सेवा की। चौदह वर्ष पश्चात जब श्रीराम वापस अयोध्या आ गए तब उन्होंने वैसी की वैसी अयोध्या उन्हें सौंप दी।

शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर का वध व मथुरा का राजा बनना (Shatrughan Mathura Ka Raja)

श्रीराम के राज्याभिषेक के कुछ वर्षों के पश्चात मथुरा से कुछ ऋषि-मुनि आये और लवणासुर के आंतक के बारे में बताया। तब श्रीराम ने शत्रुघ्न को लवणासुर का वध करके मथुरा का राजकाज सँभालने का आदेश दिया।

श्रीराम के आदेश स्वरुप शत्रुघ्न सेना लेकर मथुरा गए व लवणासुर से युद्ध करके उसका वध कर दिया। इसके बाद उन्हें मथुरा का राजा बना दिया गया। अब वे वही अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहने लगे व मथुरा का राजकाज सँभालने लगे।

शत्रुघ्न का समाधि लेना (Shatrughan Ki Mrityu Kaise Hui)

इसके बाद शत्रुघ्न ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ देखी जैसे कि श्रीराम का अश्वमेघ यज्ञ करना, लव-कुश से उनका युद्ध, माता सीता का भूमि में समाना, श्रीराम का लव-कुश को अपने पुत्रों के रूप में अपनाना व श्रीराम द्वारा लक्ष्मण का त्याग करना इत्यादि।

अंत में श्रीराम ने अयोध्या के निकट सरयू नदी में जल समाधि ले ली। उनके समाधि लेने के पश्चात शत्रुघ्न ने भी सरयू में समाधि ले ली व पुनः अपने धाम वैकुण्ठ लौट गए।

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