Autobiography Rani Velu Nachiyar ki Jivani | रानी वेलु नचियार का जीवन परिचय : पहली भारतीय रानी हैं, जिन्होंने अंग्रेजों को हराकर अपना राज्य वापस जीता
रानी वेलु नचियार 1772 का वो दशक जब ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं ने शिवगंगा पर कब्जा कर लिया था। राजा थेवर अपने राज्य की रक्षा करते-करते शहीद हो गए। वहीं रानी वेलू अपनी नवजात बेटी के साथ जंगलों में भागने पर मजबूर हो गई थी।
‘विजयादशमी बस कुछ ही दिन दूर है। मंदिर में आसपास के गांवों की महिलाएं आएंगी। हम उनके बीच घुलमिल सकते हैं और किले के अंदर जा सकते हैं। रानी वेलु नचियार ने किले की ओर देखा… बदले की भावना से उनकी आँखें सूज चुकी थी। बहुत साल पहले, जो किला उनका हुआ करता था। वह अब अग्रेंजो के हाथों में था। शिवगंगा की रानी, जिनके पति मुथु वदुगनाथ थेवर वहां पर शासन किया करते थे।’
1772 का वो दशक जब ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं ने शिवगंगा पर कब्जा कर लिया था। राजा थेवर अपने राज्य की रक्षा करते-करते शहीद हो गए। वहीं, रानी वेलू अपनी नवजात बेटी के साथ जंगलों में भागने पर मजबूर हो गई थी। अपने पति की शहादत के बाद, वह लंबे समय तक डिंडीगुल के जंगलों में रही और मैसूर के शासक हैदर अली की मदद से अपनी सेना बनाने लगी। लगभग आठ वर्षों के बाद, रानी बदला लेने के लिए वापस अपने राज्य में आई और शिवगंगा को अत्याचारी अग्रेंजों के चंगुल से मुक्त कराया।
रानी वेलू नचियार (Rani Velu Nachiyar)
रामनाथपुरम के राजा चेल्लमुत्थू विजयरागुनाथ सेथुपति की इकलौती संतान रानी वेलु नचियार का जन्म 3 जनवरी, 1730 को हुआ था। रानी वेलू नचियार का पालन-पोषण एक राजकुमार की तरह हुआ। किसी भी राजा की तरह रानी वेलू नचियार को भी अस्त्र-शस्त्रों का पूरा ज्ञान था। मार्शल आर्ट, घुड़सवारी, तीरंदाजी, सिलंबम (स्टिक फाइट) में उन्हें बचपन में ही ट्रेनिंग मिल चुकी थी। रानी वेलू नचियार को न केवल हिंदी बल्कि तमिल, अंग्रेजी, फ्रेंच और उर्दू जैसी कई भाषाओं का पूरा ज्ञान था।
अंग्रेजों से लड़ने के लिए बनाई थी केवल महिलाओं की सेना
अंग्रेजों को धूल चटाने के लिए रानी वेलू नचियार ने केवल महिलाओं की एक सेना बनाई थी, जिसका नाम उन्होंने रखा उदयाल (Udiyal)। एक बहादुर महिला जिन्हें अंग्रेजों की चंगुल से बचने के लिए अपना सबकुछ पीछे छोड़ना पड़ा। उन्होंने इन आठ सालों के कठिन समय के दौरान अपनी महिला सेनाओं को विभिन्न प्रकार के युद्धों में प्रशिक्षित किया। इस दौरान रानी के विश्वासपात्र, मारुडू ब्रदर्स ने भी क्षेत्र में वफादारों के बीच एक सेना खड़ी करना शुरू कर दिया था।
शिवगंगा किले में छिपे अंग्रेजों को किया ध्वस्त
अपनी महिला सेना के साथ, रानी वेलू ने धीरे-धीरे शिवगंगा प्रांत को फिर से जीतना शुरू किया और अंत में अपने किले में घुसकर एक-एक अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए। किले पर कब्जा करना रानी के लिए आसान नहीं था, क्योंकि रानी वेलू के पास किले को चारों तरफ से घेरने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था। यही वह क्षण था जब ‘उदयाल सेना’ के वीर सेनापति कुइली आगे आए।
महिला सैनिक कुइली ने चलाई चाणक्य बु्द्धि
किले में घुसने के लिए कुइली ने एक प्लान तैयार किया। वह कुछ अन्य महिला सैनिकों के साथ पूजा करने के बहाने ग्रामीण महिलाओं के वेश में किले में दाखिल हुईं। एक बार अंदर आने के बाद, उन्होंने सही समय का इंतजार किया और अपनी घातक तलवारों से हमला करना शुरू कर दिया।
अचानक हुए इस आक्रमण से अंग्रेज स्तब्ध रह गए। कुछ ही समय में इन निडर महिला योद्धाओं ने पहरेदारों को मारने और किले के द्वार खोलने में सफलता प्राप्त कर ली थी। यही वह क्षण था जिसका रानी वेलु नचियार लंबे समय से इंतजार कर रही थीं। उनकी सेना ने बिजली की गति से किले में प्रवेश किया और भयंकर खूनी युद्ध किया।
महिला सैनिक कुइली ने दिखाई थी बहादुरी
कहा जाता है कि इस युद्ध के दौरान महिला सैनिक कुइली की नजर ब्रिटिश गोला-बारूद पर पड़ गई थी। इसका फायदा उठाते हुए उन्होंने मंदिर में रखे घी को अपने शरीर पर उड़ेल लिया और खुद को आग के हवाले कर दिया था। आग में झुलस रही कुइली ने हाथ में तलवार लेते हुए गोला-बारूद के डिपो की ओर बढ़ रही थी। पहले उन्होंने गेट की रखवाली करने वाले सिपाहियों को मारा और फिर गोला-बारूद में कूद पड़ी। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कुइली ने हंसते-हंसते आत्म बलिदान दे दिया।
जब अंग्रेजों को टेकने पड़े घुटने
इस युद्ध में अंग्रेजों ने घुटने टेक दिए और रानी वेलू ने स्वतंत्रता के पहले 1780 में अपने राज्य को वापस से हासिल करने में सफलता हासिल कर ली। रानी वेलु नचियार, शायद ही पहली भारतीय रानी हैं, जिन्होंने अंग्रेजों को हराकर अपना राज्य वापस जीता था।