Sanskrit Sahitya Ka Etihas By Baldev upadhayay In Hindi PDF Free Download || बलदेव उपाध्याय द्वारा संस्कृत साहित्य का इतिहास हिंदी में पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड
From the time of Rigveda till today, all types of Vamya are being created through the medium of the Sanskrit language. From the Himalayas to the ends of Kanyakumari, the study of Sanskrit is being taught in some form or the other. Despite being the medium of Indian culture and ideology, this language has been secular in many respects. In this language religious, literary, spiritual, philosophical, scientific, and humanities, etc.
The literature of the Sanskrit language is an ocean of many invaluable gems, such rich literature is not of any other ancient language, nor has the tradition of any other language been able to last for such a long time in the form of uninterrupted flow. Despite being very ancient, the creative power of this language did not get frustrated, its metaphor has been capable of coining new words continuously…………
ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी प्रकार के वाङ्मय का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा का माध्यम होकर भी यह भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। इस भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी (ह्यूमैनिटी) आदि प्राय: समस्त प्रकार के वाङ्मय की रचना हुई।
संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है।………………