सर्प सूक्त स्तोत्र || Sarpa Suktam Stotra || Sarpa Suktam Stotram

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जिस भी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष, राहू व् केतु द्वारा जीवन पीड़ित चल रहा है तो सर्प सूक्त का पाठ करने से जातक की परेशानी शांत होने लगती है ! जिस भी व्यक्ति के सपने में सांप आते हो या सांप आदि से भय सताता रहता हो तो ऐसे व्यक्ति को भी सर्प सूक्त स्तोत्र पढ़ना काफी फायदेमद रहता है |

सर्प सूक्त स्तोत्र || Sarpa Suktam Stotra

ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा ।।

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