Shankaracharya Jeevan Charitra Book/Pustak PDF Free Download || शंकराचार्य जीवन चरित्र

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समाधान नहीं करता, मुस्थिर नहीं होता। श्रेत मनुष्य किये जैसे ही यह प्रश्न अनिवार्य है, वैसे ही उसके लिये इसका समाधान होना भी मावश्यक है ।

परन्तु इसके लिये विशेष चिन्ता या गामीर गदेषनाकी बल्लव नहीं होती है। क्योंकि मनुष्य मात्र ही इस गातफो मानता है

कि दुःख दूर करना और सुख-मोग करना जीवनका एकमात्र ध्येय है। तब प्रश्न उपस्थित होता है कि सब प्रकारके दुखोंको एक बार हो दूर करना और महासुख-जिसका नाम है-परमानन्द उस अनिर्वचनीय मुखको प्राप्त करनेका उपाय क्या है हिन्दु-धर्मे-शास्त्र- कारो और विदेशी

विद्वानों ने एक स्वरसे इसका उपाय क्या है-प- साधन और तत्त्वज्ञान की प्राप्ति । परन्तु प्रश्न होता है कि उस तत्त्वज्ञान और धर्मसाधनका स्वरूप क्या है ? पाठक जबफ इस प्रश्न का समा- यान न सम, तकतक शूर-स्वामीके मन्तष्यफ्ो नहीं समझ सकते ।

 

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