श्री रामानुजाचार्य का जीवन चरित || Sri Ramanujacharya Ka Jeevan Charit Biography In Hindi Book/Pustak PDF Free Download
पक्षिकुलके मधुर कलरवसे मानो वह स्थान बोल रहा है, खिले हुए पुष्पोंके सौरभसे वह स्थान सुरभित हो रहा है। शान्ति, मधुरता और सुन्दरताको वहाँ सीमा नहीं। देखने से मालूम होता है कि ससारको रक्षामे निरन्तर लगे रहने के कारण परिश्रम
दूर करनेके लिये स्वय भगवान् कमळापति अपने प्रियतम मत के साथ विधाम करने के लिये आये हैं।लगभग हजार वर्ष पहले आसूरि केशवाचार्य नामक एक कर्मनिष्ठ ब्राह्मण इस गांव में रहते थे। उसी समय यमुनाचार्य अधवा आलवन्दार
राजसिंहासन छोड़कर और राननिय स्वानोजी के शिष्य होकर श्री रगकषेत्रमे सम्यातसति नेशन रहते थे। गुरुको बैकुम्छ -प्रा्ति होनेपर आलवन्दार ही उस समयकी समस्त वैष्णव-मण्डलीके नेता नाने गये ।…….