श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र || Sri Venkateswara Vajra Kavacha Stotram
श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र उल्लेख श्री मार्कंडेय पुराण में हैं ! श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र के रचियता ऋषि मार्कंडेय जी हैं ! श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र का पाठ करने से जातक की सारी परेशानियों और दुःखों से मुक्ति मिल जाती हैं ! श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र आदि के बारे में बताने जा रहे हैं
श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र || Sri Venkateswara Vajra Kavacha Stotram
मार्कण्डेय उवाच
नारायणं परब्रह्म सर्वकारण कारकं
प्रपद्ये वेङ्कटेशाख्यां तदेव कवचं मम ॥
सहस्रशीर्षा पुरुषो वेङ्कटेशश्शिरो वतु
प्राणेशः प्राणनिलयः प्राणाण् रक्षतु मे हरिः ॥
आकाशराट् सुतानाथ आत्मानं मे सदावतु
देवदेवोत्तमोपायाद्देहं मे वेङ्कटेश्वरः ॥
सर्वत्र सर्वकालेषु मङ्गाम्बाजानिश्वरः
पालयेन्मां सदा कर्मसाफल्यं नः प्रयच्छतु ॥
य एतद्वज्रकवचमभेद्यं वेङ्कटेशितुः
सायं प्रातः पठेन्नित्यं मृत्युं तरति निर्भयः ॥
॥ इति श्री वेङ्कटेस्वर वज्रकवचस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥