ऊँचे पहाड़ पर, पेड़ नहीं लगते – अटल बिहारी वाजपेयी
ऊँचे पहाड़ पर, पेड़ नहीं लगते, पौधे नहीं उगते, न घास ही जमती है। जमती है सिर्फ बर्फ, जो, कफ़न...
ऊँचे पहाड़ पर, पेड़ नहीं लगते, पौधे नहीं उगते, न घास ही जमती है। जमती है सिर्फ बर्फ, जो, कफ़न...
किसी रात को मेरी नींद चानक उचट जाती है आँख खुल जाती है मैं सोचने लगता हूँ कि जिन वैज्ञानिकों...
पहली अनुभूति: गीत नहीं गाता हूँ बेनक़ाब चेहरे हैं, दाग़ बड़े गहरे हैं टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता...
चौराहे पर लुटता चीर प्यादे से पिट गया वजीर चलूँ आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति सजाऊँ? राह कौन सी...
जो बरसों तक सड़े जेल में, उनकी याद करें। जो फाँसी पर चढ़े खेल में, उनकी याद करें। याद करें...
मैं अखिल विश्व का गुरू महान, देता विद्या का अमर दान, मैंने दिखलाया मुक्ति मार्ग मैंने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान। मेरे...
दुनिया का इतिहास पूछता, रोम कहाँ, यूनान कहाँ? घर-घर में शुभ अग्नि जलाता। वह उन्नत ईरान कहाँ है? दीप बुझे...
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है। हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल...
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा। अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता,...
कौरव कौन कौन पांडव, टेढ़ा सवाल है| दोनों ओर शकुनि का फैला कूटजाल है| धर्मराज ने छोड़ी नहीं जुए की...
ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया? भेद में अभेद खो गया। बँट गये शहीद, गीत कट गए, कलेजे में कटार दड़...
हरी हरी दूब पर ओस की बूंदे अभी थी, अभी नहीं हैं| ऐसी खुशियाँ जो हमेशा हमारा साथ दें कभी...