देखो लड़को, बंदर आया – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
देखो लड़को, बंदर आया। एक मदारी उसको लाया॥ कुछ है उसका ढंग निराला। कानों में है उसके बाला॥ फटे पुराने...
देखो लड़को, बंदर आया। एक मदारी उसको लाया॥ कुछ है उसका ढंग निराला। कानों में है उसके बाला॥ फटे पुराने...
मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा आ अचानक दूर से उड़ता हुआ एक...
ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी एक बूंद कुछ आगे बढ़ी सोचने फिर फिर यही मन में...
देख कर बाधा विविध बहु विघ्न घबराते नहीं रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं काम कितना ही कठिन...