जाग तुझको दूर जाना – महादेवी वर्मा
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! जाग तुझको दूर जाना! अचल हिमगिरि के हॄदय में आज चाहे कम्प...
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! जाग तुझको दूर जाना! अचल हिमगिरि के हॄदय में आज चाहे कम्प...
निश्वासों सा नीड़ निशा का बन जाता जब शयनागार, लुट जाते अभिराम छिन्न मुक्तावलियों के वंदनवार तब बुझते तारों के...
आंधी आई जोर-शोर से डाली टूटी है झकोर से उड़ा घोंसला बेचारी का किससे अपनी बात कहेगी अब यह चिड़िया...