मन को वश में करो, फिर चाहे जो करो – रमानाथ अवस्थी
मन को वश में करो फिर चाहे जो करो। कर्ता तो और है रहता हर ठौर है वह सबके साथ...
मन को वश में करो फिर चाहे जो करो। कर्ता तो और है रहता हर ठौर है वह सबके साथ...
जीवन कभी सूना न हो कुछ मैं कहूं‚ कुछ तुम कहो। तुमने मुझे अपना लिया यह तो बड़ा अच्छा किया...