मेरा नया बचपन – सुभद्रा कुमारी चौहान
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी। गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥ चिंता-रहित खेलना-खाना...
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी। गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥ चिंता-रहित खेलना-खाना...
देखो कोयल काली है पर मीठी है इसकी बोली इसने ही तो कूक–कूक कर आमों में मिसरी घोली कोयल कोयल...
अभी अभी थी धूप, बरसने, लगा कहाँ से यह पानी। किसने फोड़ घड़े बादल के, की है इतनी शैतानी॥ सूरज...
देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं। धूमधाम...
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥ ले देतीं यदि...