जानें गीता में किसे त्याग कर्म कहा गया है
श्रीभगवानुवाच। अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते। भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: ।। गीता 8/3।। अर्थ : श्री भगवान् बोले ! ब्रह्म, परम अक्षर...
श्रीभगवानुवाच। अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते। भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: ।। गीता 8/3।। अर्थ : श्री भगवान् बोले ! ब्रह्म, परम अक्षर...
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्। य: प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशय: ।। गीता 8/5।। अर्थ : जो देहाध्यास के...
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च। मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्।। गीता 8/7।। अर्थ: इसलिए सभी कालों में मेरा स्मरण कर और युद्ध कर! जब...
कविं पुराणमनुशासितार मणोरणीयांसमनुस्मरेद्य:। सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप मादित्यवर्णं तमस: परस्तात् ।। गीता 8/9।। अर्थ : जो सर्वज्ञ, पुरातन, सबका शासक, सूक्ष्म से...
अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना। परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन् ।। गीता 8/8।। अर्थ : हे पार्थ ! जो अभ्यास द्वारा योग...
प्रयाणकाले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव। भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम् ।। गीता 8/10।। अर्थ : वह...
सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च। मूर्ध्न्याधायात्मन: प्राणमास्थितो योगधारणाम् ।। गीता 8/12।। अर्थ: सभी द्वारों को संयम कर, मन को...
अनन्यचेता: सततं यो मां स्मरति नित्यश:। तस्याहं सुलभ: पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिन: ।। गीता 8/14।। अर्थ : हे पार्थ ! जो...
सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम्। कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् गीता।।9/7।। अर्थ: हे कौन्तेय! सब भूत कल्पों के अंत में मेरी...
यथाकाशस्थितो नित्यं वायु: सर्वत्रगो महान् | तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय || गीता 9/6|| अर्थ: जैसे सर्वत्र विचरण करने वाला महान्...
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना। मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थित:।। गीता 9/4।। अर्थ: मुझे अव्यक्त से यह संपूर्ण जगत व्याप्त है,...
अश्रद्दधाना: पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप | अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि || गीता 9/3|| अर्थ: हे परंतप! जो पुरुष इस धर्म (ज्ञान)...