एकादशमुखि हनुमत्कवचम् || Ekadash Mukhi Hanumat Kavacham
एकादशमुख हनुमान जी की कवच श्रृंखला में इससे पूर्व आपने एकादशमुखहनुमत्कवचम् पढ़ा । अब इस श्रृंखला में एकादशमुखि हनुमत्कवचम् दिया...
एकादशमुख हनुमान जी की कवच श्रृंखला में इससे पूर्व आपने एकादशमुखहनुमत्कवचम् पढ़ा । अब इस श्रृंखला में एकादशमुखि हनुमत्कवचम् दिया...
कालीरहस्य अंतर्गत महाकौतूहल दक्षिणाकाली हृदय स्तोत्रम् के पाठ से भयंकर व असाध्य रोग और शत्रु नष्ट हो जाते हैं ।...
माता काली का यह स्तव श्री ब्रह्मदेव द्वारा रचीत है। इस स्तुति को जो काली के साधक पढ़ते हैं, वे...
प्रचीन ॠषियों ने वेदों में से आम व्यक्ति के भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति हेतु विभिन्न सूक्तों को छाँट कर या...
भगवान श्रीमार्तण्ड भैरव से अपनी सभी मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए नित्य श्रीमार्तण्डभैरव अष्टोत्तरशत नामावलि का पाठ करें। मार्तण्ड भैरव...
अथर्वशिर उपनिषद् अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल...
श्रीरुद्रयामल उत्तरतन्त्र महातन्त्रद्दीपन सिद्धमन्त्रप्रकरण षट्चक्रप्रकाश सप्ततितम(७०)पटल में भैरवभैरवी संवाद के रूप में वर्णित इस सदाशिव शाकिनी कवचम् अतिगुह्य व सर्वसिद्धि...
सशक्तिशिवनवकम् के इस ९ श्लोक से नित्य पाठ करने शक्ति-शिव कि कृपा प्राप्त होकर साधक कि सभी इच्छाएँ पूरी होती...
पतञ्जलिकृत सदाशिवाष्टकम् या श्रीशिवपङ्चचामर स्तोत्र या श्रीसभापति स्तोत्रं और श्रीप्रदीप्तनन्दशर्मविरचित सदाशिवाष्टकम् के पाठ से भगवान सदाशिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों...
श्रीभद्रकालीकवचम् माँ की महिमा अपरम्पार है। भद्रकाली की कृपा से ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो सिद्ध न हो...
इससे पूर्व आपने माँ भद्रकाली की प्रसन्नता,नित्य कल्याण लाभार्थ व माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्री भद्रकालीमन्त्रनामसहस्रनामस्तोत्रम् पढ़ा...
॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥ नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा...