त्रैलोक्य मङ्गल लक्ष्मी स्तोत्र, Trailokya Mangal Lakshmi Stotra
त्रैलोक्य मङ्गल लक्ष्मी स्तोत्र
नमः कल्याणदे देवि नमोऽस्तु हरि वल्लभे |
नमो भक्त प्रिये लक्ष्मी देवि नमोऽस्तु ते || 1 ||
नमो माया गृहिताङ्गी नमोऽस्तु हरि वल्लभे |
सर्वेश्वरि नमस्तुभ्यं लक्ष्मी देवि नमोऽस्तुते || 2 ||
महामाये विष्णुधर्म पत्नीरूपे हरिप्रिये |
वाञ्छादात्रि सुरेशानि लक्ष्मी देवि नमोऽस्तुते || 3 ||
उद्यद्भानु सहस्त्राभे नयनत्रय भूषिते |
रत्नाधारे सुरेशानि लक्ष्मी देवि नमोऽस्तुते || 4 ||
विचित्र वसने देवि भवदुःख विनाशिनी |
कुचभारनते देवि लक्ष्मी देवि नमोऽस्तुते || 5 ||
साधकाभीष्टदे देवि अन्नदान रतेऽनघे |
विष्ण्वानन्द प्रदे मातर्लक्ष्मी देवि नमोऽस्तुते || 6 ||
षट्कोण पद्म मध्यस्थे षडङ्ग
ब्रह्माण्यादि स्वरूपे च लक्ष्मी देवि नमोऽस्तुते || 7 ||
देवि त्वं चन्द्रवदने सर्व साम्राज्य दायिनी |
सर्वानन्द करे देवि लक्ष्मी देवि नमोऽस्तुते || 8 ||
|| अथ फलश्रुति ||
पूजाकाले पठेद्यस्तु स्तोत्रमेतत् समाहितः |
तस्य गेहे स्थिरा लक्ष्मीर्ज़ायते नात्र संशयः || 9 ||
प्रातःकाले पठेद्यस्तु मंत्रपूजा पुरस्सरम् |
तस्य चान्न ( चात्र )समृद्धिः स्याद् वर्द्धमानो दिने दिने || 10 ||
यस्मै कस्मै न दातव्यं न प्रकाश्यं कदाचन् |
प्रकाशात् कार्यहानिः स्यात् तस्माद् यत्नेन गोपयेत् || 11 ||
त्रैलोक्य मङ्गलं नाम स्तोत्रमेतत् प्रकीर्तितम् |
ब्रह्मविद्या स्वरूपं च महैश्वर्य्य प्रदायकम् || 12 ||
|| इति श्री त्रैलोक्य मङ्गल लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्णं ||
माँ लक्ष्मी का यह स्तोत्र त्रिलोक में मङ्गल करनेवाला है |
इस स्तोत्र के अनुसार नित्यपूजन के समय इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके यहाँ लक्ष्मीजी सदा निवास करती है |
इस स्तोत्र का पाठ सदा गुप्त रूप से मध्यम स्वर से उच्चारण करके करना चाहिए |
लक्ष्मीजी के इस स्तोत्र को भोजपत्र पर लिखकर ताबीज में धारण कर कण्ठ
( गले में ) धारण कर सकते है |
जो मनुष्य उपवास करके इस स्तोत्र के रात्रि काल में 108 बार पाठ करता है वो स्थिर लक्ष्मी को प्राप्त करता है |
इसका अनुष्ठान 108 पाठ का माना गया है |
|| || इति श्री त्रैलोक्य मङ्गल लक्ष्मी स्तोत्र सम्पूर्णं ||