Vastu remedies for home : जानें किस वास्तुदोष के कारण आपको अपने ही घर में लगने लगता है डर
चारदीवारी से घिरा मकान सिर्फ आपके लिए रहने की जगह नहीं बल्कि एक ऐसा स्थान होता है, जहां पर पहुंचने पर आप अपनी सभी परेशानियों और थकान को दूर करने का प्रयास करते हैं। कई बार कुछ मकान हमारे लिए शुभ तो कुछ अशुभ साबित होते हैं। शुभता और अशुभता के पीछे दिशाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि प्रत्येक दिशा का अपना स्वामी होता है। प्रत्येक दिशा का ग्रह और उसके देवता होते हैं। शुभ दिशा और ग्रह के हिसाब से मकान नहीं होने पर ही जातक अपने घर में ही खुद को असुरक्षित महसूस करने लगता है। वास्तुदोष के कारण उस घर में रहने वाला व्यक्ति तमाम तरह के रोग, तनाव, कलह और कर्ज से घिर जाता है।
सुख-समृद्धि में बाधक बनने वाले घर से जुड़े वास्तुदोष और उनको दूर करने का सरल उपाय —
सूर्य का भवन( पूर्व ) :
पूर्व दिशा के स्वामी सूर्यदेव हैं। इस दिशा के देवता इंद्र हैं। पूर्व दिशा में मकान होने से सूर्यदेव स्वास्थ्य और तेजस्विता प्रदान करते हैं। यदि आपका मकान पूर्वोत्तरमुखी है, तो ऐसे भवन में रहने वाले लोग महत्वाकांक्षी, सत्वगुणो से भरपूर, मकान में रहने वालों के चेहरे पर तेज, खूब मान-सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा होती है। इस दिशा में टॉयलेट, बॉथरूम, या मकान के सामने कोई बड़ा पेड़ या कोई रोशनी बाधक चीज नहीं होना चाहिए। अन्यथा वास्तुदोष लगता है।
उपाय :
यदि आपके भवन में ऐसा वास्तुदोष है तो आप घर के मुख्य दरवाजे पर हमेशा सिंदूर और गाय के घी से तिलक करें या ॐ लिखें। साथ ही कुछ फूलदार पौधे भी अवश्य लगाएं।
शुक्र का भवन ( आग्नेय कोण ):
शुक्रदेव ऐश्वर्य के स्वामी हैं जो सुख-संपन्नता, जीवन में मधुर रस, कला से सम्बंधित रूचि प्रदान करते हैं। जिनका मकान पूर्व-दक्षिण कोण में है, उसमें रहने वाली स्त्रियों का स्वास्थ्य उत्तम होता है, स्त्री लक्ष्मी रूपा होती है, वंश वृद्धि करती है। यह अग्नि का कोण होता है। इस दिशा में वास्तुदोष होने पर घर में कलह का वातावरण हो जाता है। व्यक्ति तेजहीन हो जाता है और स्त्रियों का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है।
उपाय :
अगर इस दिशा में आप को उचित फल न प्राप्त हो रहा हो, तो आप हमेशा इस दिशा में घी का दीपक प्रजवल्लित किया करें और अग्नि कोण में नवग्रह का हवन जरूर किया करें। इस उपाय को करने से दोष समाप्त हो जाता है। इस दिशा में सुगन्धित पुष्प का पौधरोपण भी शुभ फल प्रदान करने वाला होता है।
मंगल (दक्षिण दिशा) :
दक्षिण दिशा के स्वामी ग्रह मंगलदेव है और इस दिशा के देवता यम हैं। दक्षिणमुखी भवन समस्त प्रकार का साहस देता है और धन लाभ कराता है। ऐसे दिशा में वास करने वाले लोग निडर, दिलेर होते हैं। इस दिशा का मकान युद्ध में सफलता देता है। दक्षिण दिशा कानून, मुकदमा, रोग से सम्बंधित प्रभाव देता है। इस दिशा को स्थिर दिशा माना जाता है। अगर मंगल शुभ नहीं हो तो यह दिशा रोग, कानूनी अड़चन, क्रोध आदि देता है। घर के स्वामी को इस दिशा में शयन करना चाहिए।
उपाय :
अगर इस दिशा में वास्तुदोष हो, तो इस दिशा में एक तिकोना झंडा लगाना चाहिए और घर के सामने कभी टूटा हुआ सामान नहीं रखना चाहिए। साथ ही मुख्य दरवाजे के सामने बहुत बड़ा पेड़ नहीं लगाना चाहिए।
राहु (नैऋत्य कोण):
दक्षिण और पश्चिम दिशा का का स्वामी ग्रह राहु होता है। यह तमस प्रधान ग्रह है। यह दिशा आयु और यश को प्रभावित करती है और अचानक भय पैदा करती है। जिंदगी में अचानक से उतार-चढ़ाव देती है।
उपाय:
इस दिशा के मकान को कभी खाली न छोड़ें और पानी की टंकी की सफाई हमेशा करते रहें। साथ ही हमेशा ब्राह्मण को अन्न का दान करते रहें।
शनि (पश्चिम दिशा ) :
यह दिशा प्रसन्नता की कारक है। इस दिशा के देवता वरुणदेव हैं। यह दिशा भाग्य, कर्म, यश तथा पौरुष से संबंधित कार्यों की कारक है। यदि शनि अच्छा नहीं है तो यह दिशा बहुत परेशानी का कारण बन जाती है। इससे जिंदगी में ज्यादा संघर्ष झेलना पड़ता है। इसके कारण भाग्य साथ नहीं देता है, जीवन में अकेलापन बना रहता है, मकान में शीलन हो जाती है और अनिद्रा की शिकायत बनी रहती है।
उपाय :
पश्चिम दिशा एकाग्रता के लिए जानी जाती है। इस दिशा की शुभता पाने लिए घर में धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए और घर की स्त्रियों को हमेशा स्वच्छ और सुन्दर वस्त्र धारण करना चाहिए।
चन्द्रमा (वायव्य कोण) :
उत्तर-पश्चिम की दिशा का कारक ग्रह चंद्रमा है। इस दिशा के देवता वायु देव है। चन्द्रमा अच्छा है, तो घर में सुख शांति बनी रहती है। सामाजिक प्रतिष्ठा बनी रहती है और संतान सुंदर और संस्कारी होती है। वहीं चंद्रमा के अशुभ होने पर व्यक्ति के सवभाव में चंचलता देखने को मिलती है। वह व्यक्ति कोई भी काम स्थिर ढंग से नहीं कर पाता है। व्यक्ति के घर में पानी की व्यवस्था अच्छी नहीं रहती है। यही चंद्रमा व्यक्ति को मानसिक रोग भी देता है।
उपाय :
ऐसी स्थिति में घर में हमेशा एक बड़ी बाल्टी में पानी भर कर, उसमें कुछ फूल डाल कर रखना चाहिए और प्रतिदिन उसे बदलते रहना चाहिए। ऐसे लोगों को कन्या दान अवश्य करना चाहिए। साथ ही दूध का दान भी जरूर करें।
बुध (उत्तर दिशा) :
उत्तर दिशा के कारक ग्रह बुध और देवता कुबेर देव हैं। ऐसी दिशा वाले भवन में वास करने वाले लोग अत्यंत सुलझे हुए, समझदार, चतुर, कोमल हृदय, कवि, लेखक, कला और रचनात्मक कार्यों में रूचि रखने वाले होते हैं। अगर इस दिशा स्वामी बुध की स्थिति अच्छी नहीं है, तो जातक धन के लिए त्रस्त रहता है। उसे पूजा-पाठ में सफलता नहीं मिलती और वह व्यक्ति हमेशा डिप्रेशन में रहता है।
उपाय :
ऐसी स्थिति में जातक को घर के सामने हरी बेलदार पत्तियां लगानी चाहिए। उसे अपने घर में अच्छी पुस्तकों संग्रह रखना चाहिए। साथ ही जीवन में किसी भी कार्य को करने से पहले अपने गुरु से जरूर आज्ञा लेनी चाहिए।
बृहस्पति (उत्तर पूर्व) :
ईशान कोण के ग्रह बृहस्पति देवता हैं। इस दिशा के देवता भगवान विष्णु हैं। ऐसे भवन में रहने वाले लोगो को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह दिशा ज्ञान, मान-सम्मान और तेज प्रदान करती है। यदि बृहस्पति ठीक नहीं है तो व्यक्ति को सामाजिक स्तर पर अपमानित होना पड़ता है। अपने लोग साथ छोड़ देकर दूर हो जाते हैं।
उपाय :
ईशान कोण वाले व्यक्ति को घर में हमेशा पूजा-पाठ करवाते रहना चाहिए घर के मुख्य द्वार को सुंदर और दोष रहित रखना चाहिए।