रावण के पिता कौन थे | who was father of ravan in hindi
रावण के पिता कौन थे who was father of Ravan
हैलो दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, इस लेख रावण के पिता कौन थे(Who was father of ravan) में। दोस्तों इस लेख में आप जान पाएंगे
कि रावण के पिता कौन थे और रावण का जन्म किस प्रकार से हुआ था। दोस्तों रावण के बारे में तो सभी जानते हैं की लंका का राजा रावण था जो अनीति
तथा अत्याचार की दूसरी परछाई था, जिसने ऋषि-मुनियों निर्दोष प्रजा पर बहुत अन्याय अत्याचार किया था। आज आप इस लेख में जानेंगे कि
ऐसे अत्याचारी,अनाचारी, अधर्मी रावण के पिता कौन थे और किस प्रकार से अत्याचारी रावण का जन्म हुआ। तो आइए दोस्तों पढ़ते हैं अपने इस लेख में रावण के पिता कौन थे:-
रावण के पिता कौन थे who was father of ravan
रावण के पिता कौन थे who was father of ravan – रावण के पिता महान ऋषि पुलत्स्य के पुत्र महर्षि विश्रवा थे। तथा रावण की माता का नाम कैकसी था, जबकि महर्षि विश्वा की माता का नाम हानिभुर्वा था।
महर्षि विश्वा में भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी वह अपने पिता के समान ही ज्ञानी वेदपाठी तथा ऋषि जीवन बिताने वाले एक महान व्यक्ति थे।
रामायण कालीन प्रमुख पात्र रावण कुबेर आदि महर्षि विश्ववा के ही पुत्र थे। महर्षि विश्ववा की दो शादियाँ हुई थी जिनमें से इनकी पहली पत्नी का नाम कैकसी था।
तथा कैकसी के माता-पिता का नाम सुमाली और केतुमति था। सुमाली और केतुमति दोनों राक्षस थे।इसलिए कैकसी भी एक राक्षसी थी
और कैकसी से उत्पन्न होने वाले सभी संतान विभीषण को छोड़कर राक्षसी प्रवृत्ति के थे जबकि महर्षि विश्वा की दूसरी पत्नी एर्विडा थी, जिसने कुबेर को जन्म दिया था।
विश्रवा और कैकसी की कहानी Story of kaikasi and vishrva
यह बात उस समय की है, जब महान ऋषि विश्रवा (Vishrva Rishi) जंगलों में अपना आश्रम बना कर रहा करते थे तथा यज्ञ संबंधी कार्य करते और भगवान की भक्ति किया करते थे।
जबकि इधर सुमाली और केतुमति देवताओं के डर के मारे छुपे – छुपे फिर रहे थे। सुमाली और केतुमति के गुरु शुक्राचार्य ने राक्षस जाति को आगे बढ़ाने के लिए सुमाली और केतुमति को एक सुझाव बताया।
उन्होंने कहा यदि तुम्हारी पुत्री कैकसी किसी महान तपस्वी से शादी करती है तो उन से उत्पन्न होने वाला पुत्र एक महान आत्मा तथा एक राक्षस प्रकृति का उत्पन्न होगा जो राक्षस कुल को आगे बढ़ाएगा
इस कार्य को पूर्ण करने के लिए कैकसी मोहिनी रूप रखकर ऋषि विश्वा के आश्रम के समीप पहुँच गई। उस समय ऋषि विश्वा प्रातः वंदन करने के लिए नदी के तट पर गए हुए थे।
तभी कैकसी ने वहाँ पहुँचकर ऋषिवर को प्रणाम किया और उन्हें मोहित करने का प्रयास करने लगी बहुत प्रयास करने के पश्चात ऋषि विश्ववा ने कैकसी को अपने आश्रम में स्थान दे दिया।
तथा कुछ समय पश्चात कैकसी से विवाह कर लिया, किंतु महर्षि विश्ववा के द्वारा परिचय पूंछने पर कैकसी ने केवल अपना नाम ही बताया और कहा उसका परिचय भी आप जान जाएंगे।
रावण का जन्म Birth of ravan
विवाह करने के पश्चात महान ऋषि विश्रवा ने कैकसी से उसका पूरा परिचय पूछा कि तुम्हारे माता पिता कौन है? तुम्हारा गोत्र क्या है?
तो कैकसी ने अपना परिचय बताया मैं राक्षसी केतुमति और सुमाली की पुत्री हूँ। उस वक्त कैकसी के गर्भ में ऋषि विश्वा की संतान पल रही थी, किन्तु जैसे ही महर्षि विश्रवा ने यह जाना कि
उसकी पत्नी एक राक्षसी है, तो उसने उसी वक्त राक्षसी कैकसी को श्राप दे दिया और कहा तुमने मुझसे धोखे में रखकर विवाह किया है।
इसका परिणाम तुम्हें भुगतना होगा तुम्हारी जो संतान मुझसे उत्पन्न होगी वह अत्याचारी, प्रकृति की होगी ऐसा श्राप देने के बाद ऋषि आश्रम से बाहर निकल गए
और कुछ समय पश्चात पूरा वातावरण बदलने लगा डरावनी हवाएँ चलने लगी पक्षी करूण क्रंदन करने लगे और कैकसी ने एक पुत्र को जन्म दिया
जो ऐसे हंस रहा था मानो बादल गरज रहे हो और वह जन्म लेते ही 8 वर्ष के बच्चे के समान हो गया इस घटना से द्रवित होकर उसका नाम रावण रखा गया।
विश्रवा के पिता का नाम Vishrva ke pita ka naam
ऋषि विश्रवा के पिता ब्रम्हा जी के 10 मानस पुत्रों में से एक है। तथा उनका नाम सप्तऋषियों में भी आता है। ऋषि विश्रवा के पिता का नाम महर्षि पुलत्स्य है।
पुलत्स्य ऋषि का विवाह कर्दम ऋषि की पुत्री हविर्भू से हुआ था। जिनसे महर्षि पुलत्स्य को दो पुत्र महर्षि अगस्त्य और विश्रवा प्राप्त हुए।
रावण के नाना का नाम Ravan ke Nana ka Naam
रावण के नाना का नाम सुमाली तथा माता का नाम ताड़का था। ताड़का एक यक्ष कन्या थी। किन्तु सुमाली एक राक्षस इस कारण ताड़का भी राक्षसी बन गई।
सुमाली और ताड़का की पुत्री थी कैकसी, किन्तु कैकसी को जन्म ताड़का ने नहीं दिया था। ताड़का के दो पुत्र थे सुबाहु और मारीच, जिनका वध भगवान श्रीराम ने किया था।
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