श्री यमुना चालीसा- Yamuna Chalisa

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यमुना चालीसा (Yamuna Chalisa) का पाठ पापों को दूर कर इहलोक में सुख-वृष्टि करने वाला और परलोक में कल्याणकारी है। यमुना मैया शनि देव की बहन हैं। जो उनका स्मरण करता है और उनके जल से स्नान करता है, नवग्रहों में श्रेष्ठ शनिदेव कभी उस भक्त को परेशान नहीं करते हैं। वे धर्मराज की भी बहन हैं। अतः उनके जल में निमज्जन सब पापों को विनष्ट करने वाला है। इसका का पाठ करने से रोग-शोक सरलता से विलीन हो जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण की लीलाएँ भी यमुना तट पर होती थीं, अतः वे भगवान को भी प्रिय हैं। इसलिए यमुना चालीसा का पाठ सब दुःखों की रामबाण औषधि है।

॥ दोहा॥
प्रियसंग क्रीड़ा करत नित,
सुखनिधि वेद को सार।
दरस परस ते पाप मिटे,
श्रीकृष्ण प्राण आधार॥

यमुना पावन विमल सुजस,
भक्तिसकल रस खानि।
शेष महेश वदंन करत,
महिमा न जाय बखानि॥

पूजित सुरासुर मुकुन्द प्रिया,
सेवहि सकल नर-नार।
प्रकटी मुक्ति हेतु जग,
सेवहि उतरहि पार॥

बंदि चरण कर जोरी कहो,
सुनियों मातु पुकार।
भक्ति चरण चित्त देई के,
कीजै भव ते पार ॥

॥चौपाई॥
जै जै जै यमुना महारानी।
जय कालिन्दि कृष्ण पटरानी ॥१॥

रूप अनूप शोभा छवि न्यारी।
माधव-प्रिया ब्रज शोभा भारी ॥२॥

भुवन बसी घोर तप कीन्हा।
पूर्ण मनोरथ मुरारी कीन्हा ॥३॥

निज अर्धांगी तुम्ही अपनायों।
सावँरो श्याम पति प्रिय पायो ॥४॥

रूप अलौकिक अद्भूत ज्योति।
नीर रेणू दमकत ज्यूँ मोती ॥५॥

सूर्यसुता श्यामल सब अंगा।
कोटिचन्द्र ध्युति कान्ति अभंगा ॥६॥

आश्रय ब्रजाधिश्वर लीन्हा।
गोकुल बसी शुचि भक्तन कीन्हा ॥७॥

कृष्ण नन्द घर गोकुल आयों।
चरण वन्दि करि दर्शन पायों ॥८॥

सोलह श्रृंगार भुज कंकण सोहे।
कोटि काम लाजहि मन मोहें ॥९॥

कृष्णवेश नथ मोती राजत।
नुपूर घुंघरू चरण में बाजत ॥१०॥

मणि माणक मुक्ता छवि नीकी।
मोहनी रूप सब उपमा फिकी ॥११॥

मन्द चलहि प्रिय-प्रीतम प्यारी।
रीझहि श्याम प्रिय प्रिया निहारी ॥१२॥

मोहन बस करि हृदय विराजत।
बिनु प्रीतम क्षण चैन न पावत ॥१३॥

मुरलीधर जब मुरली बजावैं।
संग केलि कर आनन्द पावैं ॥१४॥

मोर हंस कोकिल नित खेलत।
जलखग कूजत मृदुबानी बोलत ॥१५॥

जा पर कृपा दृष्टि बरसावें।
प्रेम को भेद सोई जन पावें ॥१६॥

नाम यमुना जब मुख पे आवें।
सबहि अमगंल देखि टरि जावें ॥१७॥

भजे नाम यमुना अमृत रस।
रहे साँवरो सदा ताहि बस ॥१८॥

करूणामयी सकल रसखानि।
सुर नर मुनि बंदहि सब ज्ञानी ॥१९॥

भूतल प्रकटी अवतार जब लीन्हो।
उध्दार सभी भक्तन को किन्हो ॥२०॥

शेष गिरा श्रुति पार न पावत ।
योगी जति मुनी ध्यान लगावत ॥२१॥

दंड प्रणाम जे आचमन करहि ।
नासहि अघ भवसिंधु तरहि ॥२२॥

भाव भक्ति से नीर न्हावें।
देव सकल तेहि भाग्य सरावें ॥२३॥

करि ब्रज वास निरंतर ध्यावहि।
परमानंद परम पद पावहि ॥२४॥

संत मुनिजन मज्जन करहि।
नव भक्तिरस निज उर भरहि ॥२५॥

पूजा नेम चरण अनुरागी।
होई अनुग्रह दरश बड़भागी ॥२६॥

दीपदान करि आरती करहि ।
अन्तर सुख मन निर्मल रहहि ॥२७॥

कीरति विशद विनय करी गावत।
सिध्दि अलौकिक भक्ति पावत ॥२८॥

बड़े प्रेम श्रीयमुना पद गावें।
मोहन सन्मुख सुनन को आवें ॥२९॥

आतुर होय शरणागत आवें।
कृपाकरी ताहि बेगि अपनावें ॥३०॥

ममतामयी सब जानहि मन की।
भव पीड़ा हरहि निज जन की ॥३१॥

शरण प्रतिपाल प्रिय कुंजेश्वरी।
ब्रज उपमा प्रीतम प्राणेश्वरी ॥३२॥

श्रीजी यमुना कृपा जब होई।
ब्रह्म सम्बन्ध जीव को होई ॥३३॥

पुष्टिमार्गी नित महिमा गावैं।
कृष्ण चरण नित भक्ति दृढावैं ॥३४॥

नमो नमो श्री यमुने महारानी ।
नमो नमो श्रीपति पटरानी ॥३५॥

नमो नमो यमुने सुख करनी।
नमो नमो यमुने दु: ख हरनी ॥३६॥

नमो कृष्णायैं सकल गुणखानी।
श्रीहरिप्रिया निकुंज निवासिनी ॥३७॥

करूणामयी अब कृपा कीजैं।
फदंकाटी मोहि शरण मे लीजैं ॥३८॥

जो यमुना चालिसा नित गावैं ।
कृपा प्रसाद ते सब सुख पावैं ॥३९॥

ज्ञान भक्ति धन कीर्ति पावहि ।
अंत समय श्रीधाम ते जावहि ॥४०॥

॥दोहा॥
भज चरन चित सुख करन,
हरन त्रिविध भव त्रास।
भक्ति पाई आनंद रमन,
कृपा दृष्टि ब्रज वास॥

यमुना चालिसा नित नेम ते,
पाठ करे मन लाय।
कृष्ण चरण रति भक्ति दृढ,
भव बाधा मिट जाय॥

Yamuna Chalisa English

॥ dohā॥
priyasaṃga krīḍa़ā karata nita,
sukhanidhi veda ko sāra।
darasa parasa te pāpa miṭe,
śrīkṛṣṇa prāṇa ādhāra॥

yamunā pāvana vimala sujasa,
bhaktisakala rasa khāni।
śeṣa maheśa vadaṃna karata,
mahimā na jāya bakhāni॥

pūjita surāsura mukunda priyā,
sevahi sakala nara-nāra।
prakaṭī mukti hetu jaga,
sevahi utarahi pāra॥

baṃdi caraṇa kara jorī kaho,
suniyoṃ mātu pukāra।
bhakti caraṇa citta deī ke,
kījai bhava te pāra ॥

॥ caupāī॥
jai jai jai yamunā mahārānī।
jaya kālindi kṛṣṇa paṭarānī ॥1॥

rūpa anūpa śobhā chavi nyārī।
mādhava-priyā braja śobhā bhārī ॥2॥

bhuvana basī ghora tapa kīnhā।
pūrṇa manoratha murārī kīnhā ॥3॥

nija ardhāṃgī tumhī apanāyoṃ।
sāva~ro śyāma pati priya pāyo ॥4॥

rūpa alaukika adbhūta jyoti।
nīra reṇū damakata jyū~ motī ॥5॥

sūryasutā śyāmala saba aṃgā।
koṭicandra dhyuti kānti abhaṃgā ॥6॥

āśraya brajādhiśvara līnhā।
gokula basī śuci bhaktana kīnhā ॥7॥

kṛṣṇa nanda ghara gokula āyoṃ।
caraṇa vandi kari darśana pāyoṃ ॥8॥

solaha śrṛṃgāra bhuja kaṃkaṇa sohe।
koṭi kāma lājahi mana moheṃ ॥9॥

kṛṣṇaveśa natha motī rājata।
nupūra ghuṃgharū caraṇa meṃ bājata ॥10॥

maṇi māṇaka muktā chavi nīkī।
mohanī rūpa saba upamā phikī ॥11॥

manda calahi priya-prītama pyārī।
rījhahi śyāma priya priyā nihārī ॥12॥

mohana basa kari hṛdaya virājata।
binu prītama kṣaṇa caina na pāvata ॥13॥

muralīdhara jaba muralī bajāvaiṃ।
saṃga keli kara ānanda pāvaiṃ ॥14॥

mora haṃsa kokila nita khelata।
jalakhaga kūjata mṛdubānī bolata ॥15॥

jā para kṛpā dṛṣṭi barasāveṃ।
prema ko bheda soī jana pāveṃ ॥16॥

nāma yamunā jaba mukha pe āveṃ।
sabahi amagaṃla dekhi ṭari jāveṃ ॥17॥

bhaje nāma yamunā amṛta rasa।
rahe sā~varo sadā tāhi basa ॥18॥

karūṇāmayī sakala rasakhāni।
sura nara muni baṃdahi saba jñānī ॥19॥

bhūtala prakaṭī avatāra jaba līnho।
udhdāra sabhī bhaktana ko kinho ॥20॥

śeṣa girā śruti pāra na pāvata ।
yogī jati munī dhyāna lagāvata ॥21॥

daṃḍa praṇāma je ācamana karahi ।
nāsahi agha bhavasiṃdhu tarahi ॥22॥

bhāva bhakti se nīra nhāveṃ।
deva sakala tehi bhāgya sarāveṃ ॥23॥

kari braja vāsa niraṃtara dhyāvahi।
paramānaṃda parama pada pāvahi ॥24॥

saṃta munijana majjana karahi।
nava bhaktirasa nija ura bharahi ॥25॥

pūjā nema caraṇa anurāgī।
hoī anugraha daraśa baḍa़bhāgī ॥26॥

dīpadāna kari āratī karahi ।
antara sukha mana nirmala rahahi ॥27॥

kīrati viśada vinaya karī gāvata।
sidhdi alaukika bhakti pāvata ॥28॥

baḍa़e prema śrīyamunā pada gāveṃ।
mohana sanmukha sunana ko āveṃ ॥29॥

ātura hoya śaraṇāgata āveṃ।
kṛpākarī tāhi begi apanāveṃ ॥30॥

mamatāmayī saba jānahi mana kī।
bhava pīḍa़ā harahi nija jana kī ॥31॥

śaraṇa pratipāla priya kuṃjeśvarī।
braja upamā prītama prāṇeśvarī ॥32॥

śrījī yamunā kṛpā jaba hoī।
brahma sambandha jīva ko hoī ॥33॥

puṣṭimārgī nita mahimā gāvaiṃ।
kṛṣṇa caraṇa nita bhakti dṛḍhāvaiṃ ॥34॥

namo namo śrī yamune mahārānī ।
namo namo śrīpati paṭarānī ॥35॥

namo namo yamune sukha karanī।
namo namo yamune du: kha haranī ॥36॥

namo kṛṣṇāyaiṃ sakala guṇakhānī।
śrīharipriyā nikuṃja nivāsinī ॥37॥

karūṇāmayī aba kṛpā kījaiṃ।
phadaṃkāṭī mohi śaraṇa me lījaiṃ ॥38॥

jo yamunā cālisā nita gāvaiṃ ।
kṛpā prasāda te saba sukha pāvaiṃ ॥39॥

jñāna bhakti dhana kīrti pāvahi ।
aṃta samaya śrīdhāma te jāvahi ॥40॥

॥dohā॥
bhaja carana cita sukha karana,
harana trividha bhava trāsa।
bhakti pāī ānaṃda ramana,
kṛpā dṛṣṭi braja vāsa॥

yamunā cālisā nita nema te,
pāṭha kare mana lāya।
kṛṣṇa caraṇa rati bhakti dṛḍha,
bhava bādhā miṭa jāya ॥

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