Yeshaan Na Vidya Na Tapo Na Danan || येषां न विद्या न तपो न दानं

येषां न विद्या न तपो न दानं,
ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मर्त्यलोके भुविभारभूता,
मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति॥

हिन्दी भावार्थ:
जिन लोगों के पास न तो विद्या है, न तप, न तप, न ज्ञान, न शील, न गुण और न धर्म।
वे लोग इस पृथ्वी पर भार हैं और मनुष्य के रूप में मृग/जानवर की तरह से घूमते रहते हैं।

2 thoughts on “Yeshaan Na Vidya Na Tapo Na Danan || येषां न विद्या न तपो न दानं

  1. भावार्थ में ‘ज्ञान’ का उल्लेख रह गया है।
    —–

    और संघ वालों ने पूरा देखे बिना, अपनी प्रबोधिका का में यह त्रुटि वाला भावार्थ अनेक लोगों को साझा किया।

    बड़े दुख की बात है कि

    इंटरनेट पर इस तरह की त्रुटि असंख्य है।

    त्रुटि रहित लिखने की गंभीरता नहीं दिखती है।

    100 में से 95 में त्रुटि होती है।

    और

    अज्ञानी लोग कॉपी पेस्ट करके अपने को बड़ा विद्वान साबित करने का प्रयत्न करते हैं।

    अत्यंत दु:ख होता है।

    1. भावार्थ में ज्ञान का उल्लेख दुसरी पंक्ति के चौदहवे शब्द में है।

      यहाँ विस्तार रुप से सभी शब्द का वर्ण नहीं किया गया है।
      अपनी दोहरी मानसिकता का प्रदर्शन कही और करे ।

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