योग है क्या योग के प्रकार और इसका हमारे जीवन पर प्रभाव Yog Hai Kya Yog ke Prakar Iska Jivan Par Prabhav
योग का अर्थ होता है बांधना जोड़ना किसी एक को दूसरे के साथ मिला देना योग है। यह हमारी भारतीय संस्कृति व प्राचीन हिंदू सभ्यता है यह हमारे मन मस्तिष्क व शरीर को एक साथ जोड़ देता है।
साधारण अवस्था में हमारा शरीर और मन इधर-उधर होते हैं। जैसे हम बैठे यहां हैं और सोच किसी दूसरे स्थान के बारे में रहे हैं। हमारा शरीर और मन एक स्थान पर नहीं रहता है। योग के माध्यम से शरीर मन मस्तिष्क को एक ही स्थान पर केंद्रित किया जा सकता है।
योग के द्वारा मानव शरीर और उसकी भावनाओं में एक सामंजस्य स्थापित करने की क्रिया होती है। जिसके लिए विभिन्न प्रकार के आसन व मुद्राएं होती हैं।
इन आसन और मुद्राओं में हम अपने शरीर को मोड़ कर योगिक क्रियाएं करते हैं।
योग से हमारा शरीर तो स्वस्थ होता ही है साथ साथ हमारा मन स्वस्थ होता है। जिससे अध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होता है।
योग के द्वारा व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता है ।उसका शरीर ऊर्जावान होता है जिससे शारीरिक मानसिक अवसाद और चिंता आदि दूर हो जाते हैं।
योग के प्रकार- Yog ke Prakar
योग चार प्रकार के होते हैं
भक्ति योग, कर्म योग, राजयोग, ज्ञान योग
भक्ति योग- Bhakti Yog
भक्ति योग मैं परम सत्ता जिससे इस संसार की रचना हुई है जिसके द्वारा संपूर्ण जगत नियंत्रित है। उससे जुड़ने का मार्ग का वर्णन किया गया है। भक्ति योग में भक्त भगवान से कैसे जुड़ सकता है इसका वर्णन मिलता है।
कर्मयोग- Karmyog
कर्म योग में अपने कार्य करने के साथ-साथ दूसरों की सेवा करने का मार्ग बताया गया है। कर्म योग में जो हमने पहले किया है या भूतकाल में जो हम करके आए हैं।
वर्तमान में उसका फल हमें प्राप्त होता है ।आज जो भी हमें मिल रहा है वह हमारे किए गए कर्मों के आधार पर ही प्राप्त हो रहा है। इसमें व्यक्ति को अपने वर्तमान को व्यवस्थित करने का मार्ग मिलता है। और भविष्य में सुधारने का मार्ग बताया गया है ।वर्तमान में हमें इस तरह के कार्य करने होंगे जिससे भविष्य में हमें उसका परिणाम अच्छा मिलेगा यह मार्ग बताया गया है ।
राजयोग- Rajyog
राजयोग को अष्टांग योग भी कहा गया है यह आठ प्रकार का होता है। पहला यम, दूसरा है नियम, तीसरा आसन, चौथा प्राणायाम, पांचवा प्रत्याहार, छठा समाधि, सातवां एकाग्रता, आठवां धारण, इस प्रकार इस के आठ अंग है। राजयोग आसन करने की क्रिया को महत्वपूर्ण माना जाता है । क्योंकि यह सरल प्रक्रिया है।
ज्ञान योग- Gyanyog
ज्ञानयोग में मानसिक स्तर को विकास करने की प्रक्रिया का वर्णन है। यह योग की सबसे कठिन क्रिया है ।ज्ञान योग में व्यक्ति को आध्यात्मिक ग्रंथ का अध्ययन वह बुद्धि के विकास को अत्यधिक महत्व दिया गया है।
हमारे जीवन इसका पर प्रभाव- Jivan Par Yog ka Prabhav
योग के द्वारा व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे उसमें एक सकारात्मक ऊर्जा का जन्म होता है। जिससे शारीरिक मानसिक स्तर में सुधार होता है। प्राणायाम योग का एक हिस्सा है। इसको करने से समस्त प्रकार प्रकार के शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं ।शरीर में प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है। जिसके द्वारा मानव शरीर पूर्ण स्वस्थ होता है। हृदय, फेफड़े, लिवर, गुर्दा इनको स्वास्थ्य मिलता है। हमारे शरीर को ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में मिलने लगती है। जैसे शारीरिक स्वास्थ्य मैं विकास होता है। मानसिक स्तर चिंता, तनाव, बेचैनी, घबराहट ,डिप्रेशन आदि समस्त प्रकार की मानसिक बीमारियों से मुक्ति मिलती है। योग हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। यह दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण है।