पुनः चमकेगा दिनकर – अटल बिहारी वाजपेयी
आज़ादी का दिन मना, नई ग़ुलामी बीच; सूखी धरती, सूना अंबर, मन-आंगन में कीच; मन-आंगम में कीच, कमल सारे मुरझाए;...
आज़ादी का दिन मना, नई ग़ुलामी बीच; सूखी धरती, सूना अंबर, मन-आंगन में कीच; मन-आंगम में कीच, कमल सारे मुरझाए;...
क्या सच है, क्या शिव, क्या सुंदर? शव का अर्चन, शिव का वर्जन, कहूँ विसंगति या रूपांतर? वैभव दूना, अंतर...
जीवन की ढलने लगी सांझ उमर घट गई डगर कट गई जीवन की ढलने लगी सांझ। बदले हैं अर्थ शब्द...
ठन गई! मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता...
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ सवेरा है मगर पूरब दिशा में घिर रहे बादल रूई से धुंधलके में...
क्षमा करो बापू! तुम हमको, बचन भंग के हम अपराधी, राजघाट को किया अपावन, मंज़िल भूले, यात्रा आधी। जयप्रकाश जी!...
एक बरस बीत गया झुलासाता जेठ मास शरद चाँदनी उदास सिसकी भरते सावन का अंतर्घट रीत गया एक बरस बीत...
आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अँधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें- बुझी हुई बाती...
क्या खोया, क्या पाया जग में मिलते और बिछुड़ते मग में मुझे किसी से नहीं शिकायत यद्यपि छला गया पग-पग...
कर्तव्य के पुनीत पथ को हमने स्वेद से सींचा है, कभी-कभी अपने अश्रु और— प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।...
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते सत्य का संघर्ष सत्ता से न्याय लड़ता निरंकुशता से अंधेरे ने दी...
सुख के, दुख के पथ पर जीवन, छोड़ता हुआ पदचाप गया तुम साथ रहीं, हँसते–हँसते, इतना लंबा पथ नाप गया।...