ॐ में परमात्मा, जप से मिलता है ये लाभ
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। य: प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्।। गीता 8/13।। अर्थ: जो ॐ इस एक अक्षर ब्रह्म का...
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। य: प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्।। गीता 8/13।। अर्थ: जो ॐ इस एक अक्षर ब्रह्म का...
दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया | मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते || गीता 7/14|| अर्थ : मेरी यह...
मत्त: परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय | मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव || गीता 7/7|| अर्थ : हे धनञ्जय ! मुझसे...
यो यो यां यां तनुं भक्त: श्रद्धयार्चितुमिच्छति। तस्य तस्याचलां श्रद्धां तामेव विदधाम्यहम् ।। गीता 7/21।। अर्थ: जो-जो भक्त श्रद्धापूर्वक जिस-जिस...
ये चैव सात्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये | मत्त एवेति तान्विद्धि न त्वहं तेषु ते मयि || गीता 7/12|| अर्थ :...
अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् | देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि|| 7/23 व्याख्या : इसमें कोई संदेह नहीं कि कम बुद्धि...
किं तद्बह्य किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम। अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते। 8/1 हे पुरुषोत्म! ब्रह्म क्या है, अध्यात्म क्या है,...
अधिभूतं क्षरो भाव: पुरुषश्चाधिदैवतम्। अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर ।। गीता 8/4।। अर्थ: हे शरीरधारियों में श्रेष्ठ (अर्जुन)! अधिभूत मेरी नश्वर...
यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्। तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावित: ।। गीता 8/6।। अर्थ: हे अर्जुन! जिस-जिस भाव का...
यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागा:। यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये।। गीता 8/11।। अर्थ : मैं, संक्षेप में...
न च मत्स्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम् | भूतभृन्न च भूतस्थो ममात्मा भूतभावन: || गीता 9/5 || अर्थ: सब भूत...
वेदेषु यज्ञेषु तपःसु चैव दानेषु यत्पुण्यफलं प्रदिष्टम् । अत्येति तत्सर्वमिदं विदित्वा योगी परं स्थानमुपैति चाद्यम् ।। गीता 8/28 अर्थ: इस...