SURAKSHIT GOSWAMI

इस तरह मन में जगती है श्रद्धा भक्ति

यो यो यां यां तनुं भक्त: श्रद्धयार्चितुमिच्छति। तस्य तस्याचलां श्रद्धां तामेव विदधाम्यहम् ।। गीता 7/21।। अर्थ: जो-जो भक्त श्रद्धापूर्वक जिस-जिस...

इन्हें ही मिलते हैं निराकार परमात्मा

अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् | देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि|| 7/23 व्याख्या : इसमें कोई संदेह नहीं कि कम बुद्धि...

और इस तरह मुक्ति के मार्ग को लेकर अर्जुन की जिज्ञासा बढ़ी

किं तद्बह्य किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम। अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते। 8/1 हे पुरुषोत्म! ब्रह्म क्या है, अध्यात्म क्या है,...

गीताः जब भगवान श्रीकृष्ण ने बताया अपना रहस्य

अधिभूतं क्षरो भाव: पुरुषश्चाधिदैवतम्। अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर ।। गीता 8/4।। अर्थ: हे शरीरधारियों में श्रेष्ठ (अर्जुन)! अधिभूत मेरी नश्वर...

अगले जन्म में अमीर बनेंगे या गरीब, ऐसे तय करें खुद

यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्। तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावित: ।। गीता 8/6।। अर्थ: हे अर्जुन! जिस-जिस भाव का...

इस इच्छा से ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है

यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागा:। यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये।। गीता 8/11।। अर्थ : मैं, संक्षेप में...

इन कार्यों में कभी ना करें अहंकार, वरना व्यर्थ है सब

न च मां तानि कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय। उदासीनवदासीनमसक्तं तेषु कर्मसु।। गीता 9/9।। अर्थ: हे अर्जुन! कर्म मुझको नहीं बांधते हैं,...