ब्याह की शाम – अजित कुमार
ब्याह की यह शाम‚ आधी रात को भाँवर पड़ेंगी। आज तो रो लो तनिक‚ सखि। गूँजती हैं ढोलके– औ’ तेज...
ब्याह की यह शाम‚ आधी रात को भाँवर पड़ेंगी। आज तो रो लो तनिक‚ सखि। गूँजती हैं ढोलके– औ’ तेज...
सूरज डूब चुका है‚ मेरा मन दुनिया से ऊब चुका है। सुबह उषा किरणों ने मुझको यों दुलराया‚ जैसे मेरा...