श्री हनुमान बाहुक || Shri Hanuman Bahuk ||
॥ छप्पय ॥ सिंधु तरन, सिय-सोच हरन, रबि बाल बरन तनु। भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु॥ गहन-दहन-निरदहन...
॥ छप्पय ॥ सिंधु तरन, सिय-सोच हरन, रबि बाल बरन तनु। भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु॥ गहन-दहन-निरदहन...