Betiyaan kavita || बेटियाँ कविता -एक कवि नदी के किनारे खड़ा था
एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा...
एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा...
हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए । ईस्वी सन तो याद रहा , पर अपना संवत्सर...
जब गलियो मे बम फूटेंगे, सब तर्क धरे रह जाएंगे! जब तुर्की शत्रु टूटेंगे, धन दौलत जो जोडी, सब तुर्क...
मन की हल्दीघाटी में, राणा के भाले डोले हैं, यूँ लगता है चीख चीख कर, वीर शिवाजी बोले हैं, पुरखों...
दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा, मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं...
मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं सुबह आठ बजे नौकरियों पर जाते...
सालों से मस्जिद में घुट रहा, मैं तुम्हारा भोलेनाथ हूँ हिन्दुओं मैं ही तुम्हारा, वाराणसी का काशी विश्वनाथ हूँ...!!! अयोध्या...
यह लघु सरिता का बहता जल‚ कितना शीतल‚ कितना निर्मल। हिमगिरि के हिम निकल–निकल‚ यह विमल दूध–सा हिम का जल‚...
देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं। धूमधाम...
उठो लाल अब आँखें खोलो, पानी लायी हूँ मुंह धो लो। बीती रात कमल दल फूले, उसके ऊपर भँवरे झूले।...
नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है। सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥ नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं।...
मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ मॉं तुम्हारा...